देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस के दो बड़े रावत नेताओं के बीच वर्षों से चल रही जुबानी जंग भले ही होती रहती है। दोनों ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते, जिससे रॉर थमती हो। बावजूद इसके अब छोटे रावत ने बड़े रावत से माफी मांगने जैसी बात कह करइस जंग में विराम लगाने की कोशिश की है। हालांकि इसके पीछे की वजह छोटे रावत की ओर से कांग्रेस में वापसी की अटकलों को माना जा रहा है। बडे़ रावत की ओर से हरी झंडी मिले बिना छोटे रावत की घर वापसी का रास्ता बनना भी मुश्किललग रहा है। ऐसे में माफी मांगने से ही घर वापसी का रास्ता बना सकता है।
छात्र राजनीति से ही हरक सिंह रावत खुले हाथ से खेलने के आदी रहे हैं। वह चाहे पहले भाजपा में रहे हों या फिरबसपा में। उन्होंने अपने मन मुताबिक राजनीति की पिच पर खूब रन बनाए। कांग्रेस में वापसी के बाद जेनी कांड में फंसने पर इस्तीफा देने के बाद भी उनके हाथ नहीं बंधे। उन्होंने मंत्री ओर नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी धुआंधार बैटिंग की। बाद में कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा। लेकिन यहां वह अब तक खुले हाथ बैटिंग नहीं कर पाए। कांग्रेस में भी उन्होंने हरीशरावत जैसे बड़े नेता से पंगा लेकर रखा। यही वजह है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उन्हें उजाडू बेल बताते रहे। जबकि हरक सिंह भी सीधा हमला बोलते रहे।
कुछ दिन पहले ही जहां हरक सिंह रावत ने कहा था कि हरीश रावत ने मुझे बदनाम करने की कोशिश की थी तो हरीश रावत ने भी हरक सिंह रावत के लिए कहा था कि उनकी वापसी कांग्रेस में तभी हो सकती है जब वह प्रदेश से माफी मांगे और इन सब के बीच में अब हरक सिंह रावत ने कहा है कि मैं हरीश रावत से माफी मांगता हूं, मैं हरीश रावत से बड़े भाई है इसलिए माफी मांग रहा हूं आपका हर शब्द हमारे लिए आशीर्वाद है आप जो चाहे बोलते रहो।
अब भाजपा में असहज महससू कर रहे हरक सिंह के स्वर कुछ नरम पड़े हैं। माना जा रहा है कि कहीं यहनरमी कांग्रेस में जाने का रास्ताबनाने के लिए तो नहीं है। हरक सिंह रावत उत्तराखंड की राजनीति में सबसे अनुभवी नेताओं में माने जाते हैं,लेकिन सीएम की कुर्सी तक वह नहीं पहंुचपाए। जबकि उनसे कई जूनियर इस कुर्सी पर विराजमान हो चुके हैं। भाजपा में रहते हुए उसकुर्सी तक पहंुचना उनके लिए मुमकिन नहीं लग रहा। ऐसे में कांग्रेस उनके लिए मुफीद हो सकती है। यही वजह है कि उनकेस्वर में कुछ नरमी आई है।