हार्वर्ड के इन्नोवेशन एक्सपर्ट ने देखी टीएमयू की उड़ान

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में लीडरशिप टाक सीरीज में वर्ल्ड इंटरप्रिन्योरशिप डे पर “लीडरशिप एंड इट्स रोल इन शेपिंग फ्यूचर लीडर्स” पर आयोजित सेशन में बतौर मेहमान हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के सीनियर एडवांस लीडरशिप इनिशियेटिव-एएलआई फेलो श्री नवीन झा ने की शिरकत
कहते हैं, अतिथि देवो भव। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद की फैकल्टीज़ और हजारों स्टुडेंट्स का परम सौभाग्य रहा, इन्नोवेशन एंड इंटरप्रिन्योरशिप लीडर एट एचबीएस श्री नवीन झा परिवार के वरिष्ठ सदस्य की मानिंद रूबरू हुए। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के सीनियर एडवांस लीडरशिप इनिशियेटिव-एएलआई फेलो श्री नवीन झा बोले, भारत सर्वाधिक युवा आबादी का देश है, इसीलिए देश की तरक्की की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर हैं। इंटरप्रिन्योरशिप और स्टार्टअप्स के जरिए युवा ही देश की जीडीपी को और समृद्ध कर सकते हैं। इंडिया एक विकासशील देश है। ऐसे में हमारे सामने चुनौतियां आती रहती हैं, जो स्टार्टअप्स और इंटरप्रिन्योरशिप के लिए सुनहरे मौके देती हैं। प्रॉब्लम्स सीखने का जरिया होती हैं। समस्याओं से ही आइडिया प्राप्त होते हैं। आइडिया ही इंटरप्रिन्योरियल माइंडसेट और स्टार्टअप्स को विकसित करते हैं। इसीलिए युवा इनसे भागें नहीं, बल्कि इनका सामना करें। इंटरप्रिन्योरशिप, इन्नोवेशन और स्टार्टअप्स के लिए हमें हमेशा अपने इंटरेस्ट के क्षेत्र को चुनना चाहिए। स्टार्टअप्स में युवा प्रॉब्लम्स को न देखें, बल्कि सॉल्यूशन्स को तलाशें। यदि हम केवल प्रॉब्लम्स को ही देखेंगे तो हम कभी भी प्रोग्रेस नहीं कर सकते हैं। हार्वर्ड के स्टार्टअप्स एक्सपर्ट श्री झा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में लीडरशिप टाक सीरीज में वर्ल्ड इंटरप्रिन्योरशिप डे पर लीडरशिप एंड इट्स रोल इन शेपिंग फ्यूचर लीडर्स पर आयोजित सेशन पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इससे पहले -एएलआई फेलो श्री नवीन झा, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके सेशन का शुभारम्भ किया। श्री झा यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्यों से भी रूबरू हुए। उन्होंने इस सारगर्भित संवाद में टीएमयू की उपलब्धियों को भी जाना। इससे पूर्व कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और जीवीसी श्री मनीष जैन से भी शिष्टाचार भेंट की। सेशन का संचालन आईआईसी की कन्वीनर डॉ. गीतान्शु डावर ने किया।
एएलआई फेलो श्री झा स्टुडेंट्स को संबोधित करते हुए बोले, भले ही हम एक सफल इंटरप्रिन्योर हों, लेकिन हमें अपनी स्टडी को भी बीच-बीच में जारी रखना चाहिए। स्टार्टअप्स में फाइनेंस कोई बड़ी चुनौती नहीं है। बस आप एक बार आगे बढ़ने की कोशिश कीजिए, समाधान मिलते रहेंगे। अंत में स्टुडेंट्स ने श्री झा से सवाल-जवाब भी किए। एक छात्र ने पूछा, बेस्ट लीडरशिप स्टाइल कौन-सी है? इसके जवाब में श्री झा बोले, लाइफ स्टेज के अनुसार लीडरशिप चेंज होती रहती है। दूसरे स्टुडेंट ने सवाल किया, यदि हमारे इन्नोवेशन को कोई दूसरा हमसे पहले प्रयोग कर ले तो क्या करें? इसके जवाब में बोले, इन्नोवेशन कभी पुराना नहीं होता है। भले ही इस इन्नोवेशनप का बाजार में उपयोग हो गया हो, आप कतई निराश न हों बल्कि यह देखें कि इस इन्नोवेशन में और क्या-क्या अपडेशन किया जा सकते हैं। उल्लेखनीय है, श्री झा ने अपने देशपांडे एजुकेशनल ट्रस्ट-डीईटी की विकास यात्रा भी साझा की। 2010 में प्रारम्भ डीईटी वर्तमान में यह देश के बड़े वर्कफोर्स कौशल विकास प्रदाताओं में से एक है। यह हर साल हजारों युवाओं को रोजगार, स्टार्टअप्स और इंटरप्रिन्योरशिप में मदद करता है। उन्होंने हुबली के अपने प्रोजेक्ट के अनुभवों को भी साझा करते हुए कहा, यह उद्यमिता संस्कृति को मेंटरिंग, नेटवर्किंग, शिक्षा, वित्त प्राप्ति और इन्क्युबेशन के जरिए बढ़ावा देता है।
रजिस्ट्रार ऑफिस में प्राचार्य मीट के दौरान श्री झा ने सभी प्राचार्यों से पूछा, वर्तमान में कॉलेज का स्टेटस क्या है? इंटरप्रिन्योरशिप और स्टार्टअप्स को लेकर आप क्या कर रहे हैं? इनकी चुनौतियों का सामना कैसे कर रहे हैं? अगले तीन सालों में आप अपने कॉलेज को कहां देखते हैं? सभी प्राचार्यों ने अपने-अपने कॉलेजों की उपलब्धियों और रोडमैप के बारे में प्रकाश डाला। श्री झा ने कहा, हमें केवल अपने कॉलेज के दायरे में बंधकर ही नहीं रहना है। इंटरडिसिप्लेनरी होना वक्त की दरकार है, इसीलिए सभी कॉलेजों को एक दूसरे के साथ कॉलेबोरेट करते हुए स्टार्टअप्स और इंटरप्रिन्योरशिप के नए मौके तलाश करने चाहिए। सभी कॉलेज अपने स्टुडेंट्स को प्रॉब्लम्स ढूंढने के लिए प्रेरित करे, जिससे स्टार्टअप्स और इंटरप्रिन्योरशिप के विकल्प प्राप्त हो सकें। इसके अलावा विभिन्न कॉलेजों को एक-दूसरे के साथ ओपन डिसक्शन सेशन आयोजित करने चाहिए, ताकि विभिन्न डिसिपिलिन के स्टुडेंट्स साथ बैठकर अपने आइडियाज़ और प्रॉब्लम्स को शेयर कर सके। इससे भी स्टार्टअप्स और इंटरप्रिन्योरशिप के नए विकल्प प्राप्त होंगे। श्री झा बोले, यह जरूरी नहीं कि हर इन्नोवेशन स्टार्टअप्स या बिजनेस में परिवर्तित हो, बल्कि आवश्यक यह है कि वह इन्नोवेशन समाज के लिए कितना कल्याणकारी है। अंत में उन्होंने प्लेसमेंट को लेकर कॉर्पोरेट रिसोर्स सेल-सीआरसी की टीम से उपलब्धियों को जाना। मसलन प्लेसमेंट प्रक्रिया क्या है ? जॉब फेयर भी आयोजित करते हैं क्या ? यह भी पूछा, यूनिवर्सिटी के सौ किमी के दायरे में प्लेसमेंट का सघन कैंपेन कैसे चलाया जा सकता है ? श्री झा ने यूनिवर्सिटी के ज्वाइंट रजिस्ट्रार एडमिशन श्री अवनीश पवारिया से भी भेंट की और एडमिशन के तौर-तरीकों के बारे में भी जानकारी ली।
लीडरशिप टाक सीरीज के सेशन, प्राचार्य मीट और सीआरसी की मीटिंग में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.एनके सिंह, डेंटल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. मनीष गोयल, डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह, सीसीएसआईटी के प्राचार्य प्रो. आरके द्विवेदी, नर्सिंग कॉलेज की प्राचार्या डॉ. पूनम शर्मा, डॉ.श्योली सेन, लॉ कॉलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित, लॉ कॉलेज के प्राचार्य प्रों एसके सिंह, पैरामेडिकल के वाइस प्रिंसिपल प्रो. नवनीत कुमार, फिजियोथैरेपी की प्राचार्या प्रो. शिवानी एम. कौल, एजुकेशन कॉलेज की प्राचार्या प्रो. रश्मि मेहरोत्रा, एग्रीकल्चर कॉलेज के प्राचार्य प्रो. प्रवीन जैन, फार्मेेसी के प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा, सीआरसी के डायरेक्टर प्रो. विनीत नेहरा, प्रो. पीयूष मित्तल, प्रो. पंकज गोस्वामी, डॉ. रूचि कांत, मिस शीतल मल्हान, असिस्टेंट डायरेक्टर एकेडमिक्स मिस नेहा आनन्द, असिस्टेंट डायरेक्टर सीआरसी श्री सिद्धार्थ सिंह आदि मौजूद रहे।