उत्तराखंड

उत्तराखंड के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में उत्तराखंड राज्य प्राप्ति संघर्षो के इतिहास को जोड़ा जाय

उत्तराखंड के मुखिया पुष्कर सिंह धामी से उक्रांद का शिष्ट मण्डल सुनील ध्यानी केंद्रीय उपाध्यक्ष/मिडिया प्रभारी, विजय कुमार बौड़ाई केंद्रीय महामंत्री, बिजेंद्र रावत महानगर अध्यक्ष देहरादून, राम कुमार शंखधर महानगर उपाध्यक्ष देहरादून मुलाक़ात की। सरकार ने निर्णय लिया हैं कि उत्तराखंड के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में उत्तराखंड राज्य प्राप्ति संघर्षो के इतिहास को जोड़ा जाना हैं।

मांग पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया हैं कि शैक्षणिक पाठ्यक्रम राज्य आंदोलन 24-25 जुलाई 1979 उक्रांद के अस्तित्व में आने से होगा, डाo डीo डीo पंत प्रथम अध्यक्ष, दल के प्रथम विधायक स्वo जसवंत सिंह बिष्ट 1980 में रानीखेत से विधायक बने व उत्तराखंड प्रदेश विधानसभा में सत्र के दौरान पृथक उत्तराखंड राज्य का सबसे पहले संकल्प रखा, नशा नहीं रोजगार दो, नारे के साथ,1987 में राज्य की मांग को लेकर दिल्ली रामलीला मैदान में विशाल रैली, ससंसद में राज्य की मांग को लेकर पत्र बम् त्रिवेंद्र सिंह पंवार जी द्वारा सत्र के दौरान की इतिहासिक घटना, सन 1992 में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी के नाम राज्य की राजधानी चंद्र नगर गैरसैण स्थापना करना, तात्कालिक दल के अध्यक्ष व विधायक काशी सिंह ऐरी जी द्वारा उत्तर प्रदेश विधानसभा में सत्र के दौरान एक दिन में 78 प्रश्न उठाना, जहाँ से संसदीय नियमावली बदली गयी कि कोई भी सांसद, विधायक व विधान परिषद के सदस्य (एमo एलo सीo) अब एक दिन में प्रश्नकाल के दौरान 5 प्रश्न कर सकता हैं।

जो कि संसदीय प्रणाली में बदलाव की यह इतिहासिक घटना ऐरी जी के नाम हैं, 2 अगस्त 1994 को पहाड़ के गाँधी स्वo इंद्र मणि बड़ोनी जी के नेतृत्व में अन्य साथ लोगो की पृथक उत्तराखंड राज्य के लिए पौडी कमीशनरी
में भूख हड़ताल की ऐतिहासिक घटना,जहाँ से राज्य का जन आंदोलन की बिगुल फुकने की घटना से लेकर खेट पर्वत टिहरी में फील्ड मार्शल दिवाकर भट्ट जी द्वारा राज्य के लिए आमरण अनशन की घटना, श्रीयंत्र टापू काण्ड को शिक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल किया जाने की मांग मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समक्ष रखी।

साथ ही यह मांग भी रखी कि राज्य आंदोलन के इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए जो कमेठी सरकार के द्वारा बनायीं गयी या जा रही हैं उसमें राज्य प्राप्ति आंदोलन के पुरोधा दिवाकर भट्ट जी, काशी सिंह ऐरी जी, त्रिवेंद्र सिंह पंवार जी व बीo डीo रतूड़ी जी को शामिल किया जाय।

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