देहरादून। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।*
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,*
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।*
*हिमाचल चुनाव परिणाम का पुरानी पेंशन बहाली पर असर*
हिमाचल चुनाव परिणाम आप सभी के सामने है। इस चुनाव में कौन जीता कौन हारा वह हमारे लिए उतना महत्वपूर्ण नही है क्योंकि हमें दलीय राजनीति से कोई लेना देना है न ही हम इसका हिस्सा बनना चाहेंगे। किंतु पेंशन जैसा मुद्दा जो हमारे जीवन और भविष्य से जुड़ा है इस चुनाव में राजनीति का केंद्र था। पुरानी पेंशन बहाली के लिए हिमाचल में हुआ विशाल प्रदर्शन और उसके बाद हिमाचल ने जो पेंशन की बात करेगा वही देश मे राज करेगा के नारे को जिस तरह हिमाचल में बुलंद किया वह आने वाले समय मे भाजपा सरकार के लिए टेंशन का विषय अब बन गया। जिस मुद्दे को लेकर सरकार कभी गंभीर नही थी, उनकी नजर में ये कोई मुद्दा नही था। आज उसी मुद्दे ने उन्हें सत्ता से बेदखल किया। निश्चित ही जब इस हार का विश्लेषण केंद्रीय नेतृत्व करेगा तो उन्हें पेंशन के मुद्दे की अहमियत समझ आएगी। आज विपक्ष की सभी पार्टियां इस मुद्दे को लपकने की फिराक में रहती है। चुनाव की घोषणा नही हुई और अभी से कर्नाटक में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कॉंग्रेस ने कर दिया । दो दिन पहले हिमांचल के मुख्यमंत्री ने भी खुद स्वीकार किया है कि इस मुद्दे की वजह से उन्हें नुकसान हुआ है। वो खुद इस नुकसान को स्वीकार कर रहे है। जब वो हार के चिंतन में शामिल होंगे तो जरूर ही इसे हार का मुख्य कारण गिनाएंगे। इसके पहले भी उत्तर प्रदेश के चुनाव में पोस्टल वैलेट में इसका प्रभाव दिखा था। कुल मिलाकर पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा अपने चरम पर है। हिमाचल चुनाव इस संघर्ष के मील का पत्थर साबित होगी । आप लोग केवल इस संघर्ष में एनएमओपीएस का सहयोग करिए निश्चित ही 2024 से पहले पुरानी पेंशन बहाली के लक्ष्य प्राप्त करेंगे।
*पेंशन हक़ है लेकर रहेंगे*
*विजय बन्धु जिंदाबाद*
*NMOPS प्रदेश अध्यक्ष जीत मणि पैन्यूली जिंदाबाद उत्तराखंड*