उत्तराखंड

स्वतंत्र सैनानी एवं जातिवाद के खिलाफ लड़ने वाले नायक जयानंद भारती को प्रदेश भर में याद किया

आज़ादी के लिए संघर्ष करने वाले एवं जातिवाद के खिलाफ लड़ने वाले नायक जयानंद भारती की जयंती के अवसर पर देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, चमियाला, गरुड़, सल्ट, बागेश्वर, दगोली, और अन्य क्षेत्रों में “नफरत नहीं, रोज़गार दो” नारा के साथ संगोष्ठी द्वारा उनके विचारों एवं संघर्षों को याद किया गया। कार्यक्रम करते हुए आयोजक संगठनों ने कहा कि वर्त्तमान स्थिति में न्याय, इंसानियत और लोकतंत्र के लिए ऐसे संघर्षें और उनके नायक को याद रखना बेहद ज़रूरी है।

देहरादून के अग्रवाल धर्मशाला में कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि जयानंद भारती (1881 – 1952) अपनी ज़िन्दगी भर दोनों अंग्रेज़ों और जातिवादी शोषकों के खिलाफ लड़े। उन्होंने लगभग बीस साल तक “डोला-पालकी आंदोलन” का नेतृत्व किया जिसकी वजह से कोर्ट को शिल्पकार लोगों के साथ किये जा रहे भेदभाव पर रोक लगानी पड़ी । इसके साथ साथ जयानंद भारती स्वतंत्रता के संघर्ष में बार बार जेल गए। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वे दो साल जेल में रहे। वक्ताओं ने कहा कि हाल में हमें लगातार बताया जा रहा है कि हिंसा, नफरत, भेदभाव और दमन हमारी देश की विरासत है। लेकिन इस राज्य और हमारे देश की असली विरासत उन विभूतियों की रही जिन्होंने लगातार आज़ादी, लोकतंत्र, इंसानियत और शोषण मुक्त समाज के लिए लड़े। जयानंद भारती ऐसे नायकों में से एक हैं। कार्यक्रम में नफरत एवं जातिवाद के किलाफ़ जारी संघर्षों और आगे की रणनीति पर भी चर्चा हुई थी।

देहरादून की संगोष्ठी में उत्तराखंड महिला मंच की अध्यक्ष कमला पंत; CPI के राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य समर भंडारी; ऑल इंडिया किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र सजवान; जनवादी महिला समिति की सचिव इंदु नौटियाल; कांग्रेस पार्टी के याकूब सिद्दीकी; सर्वोदय मंडल के हरबीर सिंह कुशवाहा एवं विजय शंकर शुक्ला; स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट; उत्तराखंड लोकतांत्रिक मोर्चा के अध्यक्ष SS पांगती एवं सचिव PC थपलियाल; भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट एवं कमलेश खंतवाल; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल एवं राजेंद्र शाह और अन्य लोग शामिल रहे।

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