केदारनाथ जी में विश्व स्तरीय रोपवे बनाने की आवश्यकता है, घोड़े खच्चरों की मौत चिंताजनक
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में देव भूमि उत्तराखंड स्थित केदारनाथ जी पांचवें स्थान पर आते है केदारनाथ, जिसकी बनावट और इतिहास दोनों प्रसिद्ध है । सावन माह में के साथ-साथ पौराणिक परंपराओं के अनुसार भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों का दर्शन करना सनातन धर्म में शुभ माना जाता है। इसी वजह से उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर के दर्शन के लिए देश भर के लाखों श्रद्धालु इस समय केदारनाथ की यात्रा पर है।
यात्रा सुखद और शुगम हो इस पर लगातार वर्तमान सरकार और पूर्व की सरकारों का भी ध्यान रहा होगा लेकिन इस यात्रा को सुखद करने के लिए वर्तमान समय में लगभग 80 हजार से ज्यादा घोड़े खच्चर यात्रा में मदद कर रहे हैं और लगभग हजारों परिवारों की आय का साधन भी यही होगा लेकिन आए दिनों लगभग एक दर्जन घोड़े खच्चर मरने के समाचार समाचार पत्रों के माध्यम से प्रकाशित हो रहे हैं यह भी बहुत ही दुखद और चिंता का विषय है।
जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि देश और दुनिया मैं टेक्नोलॉजी अपने चरम स्तर पर है तकनीकी शब्दों में, नोर्सजो एरियल ट्रामवे एक द्वि-केबल गोंडोला लिफ्ट है जिसमें वियोज्य केबिनों को एक ट्रैक रस्सी से निलंबित कर दिया जाता है और एक ढोना रस्सी द्वारा स्थानांतरित किया जाता है। प्रत्येक केबिन में चार लोगों को 10 किमी/घंटा की गति से ले जाया जा सकता है।
वही हेमकुंड साहिब में वर्ष 2009-10 में प्रस्तावि हेमकुंड रोपवे गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब को जोड़ेगा जो विश्व का सबसे लम्बा रोपवे होगा। इस रोपवे की दूरी 12.4 किमी लंबी होगी। इस रोपवे के जरिए गोविंद घाट से हेमकुंड साहिब तक सिर्फ 45 मिनट के भीतर पहुंचा जा सकेगा। इसी तरह कई वर्ष पहले से गौरीकुंड केदारनाथ रोपवे परियोजना लगभग 10 किलोमीटर लंबी प्रस्तावित है उक्त योजना को सरकार द्वारा अति शीघ्र शुरू करना चाहिए जिससे केदारनाथ यात्रा सुगम हो सके और आए दिनों हो रही घोड़े खचर्रों मौतों से बचा जा सके।