नई टिहरी। टिहरी बांध पुनर्वास निदेशालय में भूखंड आवंटन संबंधी पत्रावली गायब होने और प्लॉट को लेकर फर्जीवाड़े के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद कुमार बर्मन की अदालत ने आरोपी अधिवक्ता अरविंद सिंह खरोला को पांच साल कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड न देने पर आरोपी को तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
सहायक अभियोजन अधिकारी राजीव डोभाल ने बताया कि 24 जून 2015 को तत्कालीन अधिशासी अभियंता पुनर्वास डीके सिंह ने भूखंड आवंटन संबंधी पत्रावली गायब होने और भूखंड विक्रय में फर्जीवाड़ा मामले में अधिवक्ता अरविंद सिंह खरोला सहित तीन लोगों के खिलाफ थाना नई टिहरी में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया।
तहरीर में बताया गया कि रमेश चंद्र पुत्र महेंद्र को वर्ष 2000 में बौराड़ी में भूखंड आवंटित किया गया था। भूस्वामी ने प्लाट बेचने की सूचना दिए बगैर भूखंड बदलने के लिए आवेदन किया। जिसकी फाइल निदेशालय से गायब हो गई थी। फाइल उपलब्ध कराने के लिए विक्रेता की ओर से आरटीआई के तहत सूचना मांगी, लेकिन सूचना नहीं दी जा सकी। जिस पर प्रार्थी की ओर से सूचना आयोग में अपील की गई। जांच के बाद थाना पुलिस ने 28 अगस्त 2017 को आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी अधिवक्ता खरोला को 5 साल की कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई।