उत्तराखंड

चमोली जिले में अयोजित की गयी वाल्मीकि रामायण पर व्याख्यानमाला

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा वाल्मीकि मास महोत्सव का प्रारम्भ आज चमोली जिले से शुरू किया गया है। प्रत्येक जनपद में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। डॉक्टर शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग के जनपद संयोजक, संस्कृत विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ चन्द्रावती टम्टा को चमोली जिले का संयोजक बनाया गया है। संगोष्ठी का विषय था – वाल्मीकि रामायण में भरतीय संस्कृति का समन्वय।

कार्यक्रम का प्रारम्भ कर्णप्रयाग महाविद्यालय की छात्राओं अमीषा रावत एवं सलोनी द्वारा वैदिक मंगलाचरण से हुआ। उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी हरिद्वार के शोध अधिकारी डॉ. हरीश गुरुरानी ने अपने प्रास्ताविक उद्बोधन में कहा कि अकादमी ने इस वर्ष वाल्मीकि मास महोत्सव मनाने का संकल्प लिया है जिसे उत्तराखण्ड के प्रत्येक जिले में मनाया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. संदीप भट्ट ने वाल्मीकि रामायण के परिप्रेक्ष्य में विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्राण राम हैं। राम में हम हैं और हम सबमें राम हैं। राम मात्र पूजन के लिए नहीं वरन् आत्मसात करने के प्रेरक हैं।

सह वक्ता डॉ. पौलस्ती प्रधान ने अरण्य कांड के संदर्भ में अपनी बात रखते हुए बताया कि सुख और दुःख का समभाव ही राम है। राम ने हमें बताता कि त्याग में ही भोग है और भोग में ही त्याग है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गैरसैंण के प्रोफेसर के. एन. बरमोला ने कहा कि हमें राम की तरह आचरण करना चाहिए न कि रावण के सदृश।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ शिवानन्द नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग के यशस्वी प्राचार्य डॉ. के. एल. तलवाड़ ने कहा कि राम ने सम्पूर्ण सृष्टि को आलोकित किया है। राम हर काल में सर्वसामयिक हैं। राम राज्य आज की आवश्यकता है।

संगोष्ठी का संचालन कर रहे महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. चन्द्रावती टम्टा ने बताया कि आगामी सत्र में इस विषय पर और भी गम्भीर चिन्तन किया जाएगा। महाविद्यालय में संस्कृत को लेकर प्राचार्य अत्यधिक उत्साही हैं, ऐसे में उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी का सहयोग मिलने से यह कार्य और भी अधिक गति से आगे बढ़ेगा।

कार्यक्रम के सह-संयोजक डॉ. पंकज यादव ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में सौ से अधिक छात्र-छात्राएँ एवं अन्य जन सम्मिलित हुए। समस्त कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से हुआ। संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. तलवाड़, संस्कृत विभाग प्रभारी डॉ. चन्द्रावती टम्टा, डॉ. पंकज यादव, डॉ. हिना नौटियाल सहित अन्य प्राध्यापक उपस्थित रहे।

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