चंदन बन के लग जाऊं तुम्हारे चरणों में…
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तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में सुरमय भजनों पर श्रावक और श्राविकाएं भक्तिरस में हुए सराबोर, दशलक्षण महामहोत्सव के तृतीय दिवस- उत्तम आर्जव धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में हुए देवशास्त्र गुरु पूजन, समुच्चय चौबीसी पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन
ख़ास बातें
श्रीजी के स्वर्ण कलशों से अभिषेक और रजत कलशों से शांतिधारा करने का सौभाग्य मिला सैकड़ों श्रावकों को
उत्तम मार्दव धर्म पर लॉ औैर फार्मेसी कॉलेज ने संयुक्त रूप से दी ममत्व से अमृत्व की यात्रा नाटय की प्रभावी प्रस्तुति
उत्तम आर्जव के दिन हमें मन, वचन और काय को सरल, सहज और सुगम रखना चाहिएः प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ शास्त्री
लॉ कॉलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित ने दशलक्षण महापर्व के महत्व पर प्रकाश डाला तो फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग वर्मा ने दिया वोट ऑफ थैंक्स
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के रिद्धि-सिद्धि भवन में सुरमय भजनों पर श्रावक और श्राविकाएं आस्था में सराबोर नज़र आए। पूजा के परम्परागत परिधानों और हाथों में चमर लिए कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन श्रीजी की प्रतिमा के समक्ष भक्तिरस में झूम उठे। दशलक्षण महामहोत्सव के तृतीय दिवस उत्तम आर्जव धर्म पर प्रतिष्ठाचार्य श्री ऋषभ जैन शास्त्री के सानिध्य में देवशास्त्र गुरु पूजन, समुच्चय चौबीसी पूजन, सोलहकारण पूजन, पंचमेरु पूजन और दशलक्षण पूजन का विधि विधान से किए गए।
इस मौके पर कुलाधिपति के संग-संग फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन, श्रीमती ऋचा जैन, एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, सुश्री नंदिनी जैन की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। इससे पूर्व रिद्धि सिद्धि में श्रीजी का प्रथम स्वर्ण कलश से प्रफुल्ल जैन, द्वितीय स्वर्ण कलश से रितेश जैन, तृतीय कलश से दक्ष जैन, और चतुर्थ स्वर्ण कलश से अक्षत जैन को अभिषेक करने का सौभाग्य मिला।
श्रीजी की रजत कलश से शांतिधारा करने का सौभाग्य श्री आशीष सिंघई, डॉ. आर्जव जैन, श्री सार्थक गोईल, श्री प्रयास झांझरी, श्री वैभव जैन, श्री आदित्य विक्रम जैन, श्री संस्कार जैन को मिला, जबकि स्वर्णकलश से शांति धारा करने का सौभाग्य सुशांत और अनंत जैन को मिला। साथ ही अष्ट प्रातिहार्य का सौभाग्य अष्ट कन्याओं- सुहानी जैन, मुस्कान, मैत्री, खुशी, निष्ठा, वंशिका, स्वाति और सम्प्रदा को मिला, वहीं द्रव्य दान का पुण्य डॉ. रवि जैन ने कमाया।
दूसरी ओर दसलक्षण महामहोत्सव के उत्तम मार्दव धर्म पर कॉलेज ऑफ लॉ एंड लीगल स्टडीज़ और कॉलेज ऑफ फार्मेसी ने संयुक्त रूप से टीएमयू ऑडी में ममत्व से अमृत्व की यात्रा की प्रभावी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का शुभारंभ कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, कॉलेज ऑफ लॉ के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित, कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्राचार्य डॉ. अनुराग वर्मा, एचआर निदेशक श्री मनोज जैन, निदेशक हॉस्पिटल पीएंडडी श्री विपिन जैन आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया। कुलाधिपति परिवार से फर्स्ट लेडी श्रीमती वीना जैन और श्रीमती ऋचा जैन की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।
भोपाल से आई सुनील सरगम एंड पार्टी ने अपनी संगीतमय प्रस्तुति से सभी को भक्ति लीन कर दिया। सुरमय भजनों- पंखिड़ा ओ पंखिड़ा…, रंगमा रंगमा रंगमा हो…, मेरी तो पतंग उड़ गई है…, णमोकार में मेरा जीवन बना दो…, यदि किसी का…, मिले सुर मेरा तुम्हारा तो…, वेश दिगम्बर…, मेरे महावीर चले हर घर दीप जले…, ओ आना इस तरह से…, भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना…, पंखिड़ा तू उड़ के चला पावापुरी रे…, आये तेरे द्वार…, सांची कहे तेरे प्रभु मैं…, चंदन बन के लग जाऊं तुम्हारे चरणों में…, चलो शिखरजी भाव से…, निर्मल कोमल शीतल पावन मेरी ज्ञानमती… आदि पर रिद्धि-सिद्धि भवन भक्तिरस से सराबोर होकर झूम उठा। धर्ममय माहौल में तत्वार्थसूत्र जैसे संस्कृत के क्लिष्ट शब्दो वाली रचना के तृतीय अध्याय का छात्र अतिशय जैन ने बड़े ही रोचक और भावपूर्ण तरीके से वाचन किया। प्रतिष्ठाचार्य ने श्रावक और श्राविकाओं को अपने आशीर्वचन में कहा, उत्तम आर्जव के दिन हमंे मन, वचन और काय को सरल, सहज और सुगम रखना चाहिए। मायाचारी करने से तिर्यंच गति मिलती है।
दूसरों से प्रशंसा की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। उन्होंने बीजाक्षरों और संवोषट जैसे शब्दों के अर्थ और भूमिका भी समझाई। प्रतिष्ठाचार्य ने कलकत्ता के बेलकचिया मंदिर का एक संस्मरण भी सुनाया, जिसमें निर्मल भाव रखकर पूजन किए जाने का वर्णन किया। शास्त्री जी ने बताया, पिता और पेड़ एक समान ही होते हैं, जिस तरह पेड़ अपने फल, लकड़ी कुर्बान कर सकता है, इसी तरह एक पिता भी अपनी संतान के लिए हर प्रकार का त्याग करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। उन्होंने राजस्थान के एक पिता और पुत्र की कहानी के जरिए यह संदेश दिया कि यदि हमारे किसी कार्य से किसी की जान बचती है तो हमें उसमें संकोच नहीं करना चाहिए। साथ ही यह शिक्षा भी मिलती है, कि मानव सेवा के कार्यों में कभी देर नहीं करनी चाहिए।
सांस्कृतिक सांझ में लॉ कॉलेज के डीन प्रो. दीक्षित ने दशलक्षण पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया, उत्तम मार्दव धर्म का अनुपालन करके कैसे ममत्व से अमृत्व की यात्रा पूरी की जा सकती है। लॉ कॉलेज की छात्राओं- निष्ठा, खुशी, रिया, वंशिका, मेघा और दीप्ति ने मंगलाचरण की मनमोहक प्रस्तुति दी तो फार्मेसी कॉलेज की छात्राओं- पलक, दृश्या, लक्षिता, रिया, प्राची और अंशी जैन ने सांवरिया मेरे सरकार आयो रे शुभ दिन आयो रे… और घूमर… सरीखे गीतों पर सुंदर नृत्य किया। लॉ कॉलेज के स्टुडेंट्स- अनिमेष, जूही, सिद्धार्थ, श्रेया, अक्षत, शिवना, अनन्या, राजुल, युग, रितिक, लक्ष्य, देवेंद्र, रितिक, अनंत, शुभांश, अंश और टीम ने गुरुगाथा नाटिका से आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के जीवन चरित्र को मनोहारी ढंग से प्रस्तुत करके सभी को भक्ति भाव से भर दिया। भक्ति भाव में डूबे दर्शकों के सामने फार्मेसी के छात्र आगम जैन ने दिल को छू लेने वाली काव्य प्रस्तुति की, जिसमें आचार्य विद्यासागर महाराज औऱ विभिन्न मुनिसंघो के कुंडलपुर में हुए सम्मिलन की झलक थी।
जम्बूस्वामी और एक ही दिन में 527 दीक्षाओं घटना पर आधारित नाटिका ने कार्यक्रम को नए आयाम पर पहुंचा दिया। इस प्रस्तुति में फार्मेसी के स्टुडेंट्स- पलक, निखिल, आगम, संदेश, अमन, अंशी, रिया, लक्षिता, हार्वी, प्राची, नमन, अक्षत और फैकल्टी डॉ आर्जव जैन एवम् लॉ कॉलेज से ईशा, पद्मश्री, श्रुति और श्रुति जैन ने पात्रों को जीवंत कर किया। नाटक में नैरेटर की भूमिका फैकल्टी श्री आशीष सिंघई ने निभाई। लॉ कॉलेज की नेहा, श्रुति, स्वस्ति, संस्कृति, आकांक्षा, पदमश्री, महक और काव्य जैन ने समूह नृत्य की प्रस्तुति देकर सभी का दिल जीत लिया।
लॉ कॉलेज की छात्राओं- अंशी, पदमश्री, गुंचा और वंशिका ने अपने मधुर समूह गायन की प्रस्तुति दी। संचालन गुंचा, कुशाग्र और सक्षम ने किया। लॉ कॉलेज के अमन और मैत्री, जबकि फार्मेसी से पलक और आकाश स्टुडेंट्स कोऑर्डिनेटर की भूमिका में रहे। जैन कोऑर्डिनेटर के रूप में श्री आशीष सिंघई, डॉ. आर्जव जैन के संग-संग लॉ कॉलेज से डॉ. माधव शर्मा और श्री अक्षय भार्गव का सतत मार्गदर्शन रहा। अंत में फार्मेसी के प्राचार्य डॉ अनुराग वर्मा ने कुलाधिपति परिवार, विश्वविद्यालय परिवार और अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही कल्चरल इवनिंग में भाग लेने वाले सभी छात्रों को बधाई दी। कार्यक्रम में डॉ. एसके जैन, डॉ. विपिन जैन, डॉ. सुशील सिंह, डॉ. रवि जैन, डॉ. कल्पना जैन, डॉ. नीलिमा जैन, डॉ. अर्चना जैन, डॉ. विनीता जैन, डॉ. नम्रता जैन, डॉ. रत्नेश जैन, डॉ. विनोद जैन, श्रीमती आरती जैन, श्रीमती अहिंसा जैन, श्रीमती विनीता जैन, श्रीमती रितु जैन आदि उपस्थित रहे।