प्रयागराज। साहेबगंज, झारखंड की निशा सिम्मी गुफ़्तगू की नई संरक्षक बन गई हैं। कवयित्री सुश्री सिम्मी की रचनाएं बिहार की सात कावित्रियां, आधुनिक भारत के ग़ज़लकार, कविता के प्रमुख हस्ताक्षर, मां मेरा पहला प्यार, पिता मेरा निंवा का पत्थर, दोस्ती हो तो ऐसी, हिन्दी हमारी शान और प्यार का पागलपन आदि संकलनों में कविताएं प्रकाशित हो चुकी हैं। अकबर इलाहाबादी स्मृति सम्मान, फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, साहित्य रत्न सम्मान, श्रेष्ठ कवित्री सम्मान, नारी रत्न सम्मान, मातृ शक्ति सम्मान, नीरज साहित्य श्री सम्मान, लक्ष्मी बाई काव्य भुषण सम्मान, झारखंड महिला रत्न सम्मान, राष्ट्र भूषणा सम्मान आदि एवार्ड अब तक आपको मिल चुके हैं। आप विभिन्न मंचो पर काव्य पाठ करती हैं।
सुश्री सिम्मी के अलावा प्रभाकर द्विवेदी प्रभामाल, अमर राग, मुनेश्वर मिश्र, हसनैन मुस्तफाबादी, ज़फ़र बख़्त, डॉ. पीयूष दीक्षित, आनंद सुमन सिंह, अरुण अर्णव खरे, रामचंद्र राजा, माहेश्वर तिवारी, पंकज के. सिंह, विजय प्रताप सिंह, डॉ. राकेश तूफ़ान, शैलेंद्र कपिल, संजय सक्सेना, मासूम रज़ा राशदी, सरिता श्रीवास्तव, डॉ. मधुबाला सिन्हा, जया मोहन, देवेंद्र प्रताप वर्मा ‘विनीत’, मंजुला शरण मनु, डॉ. उपासना दीक्षित, डॉ. शबाना रफ़ीक, रामशंकर वर्मा और सिद्धार्थ पांडेय भी ‘गुफ्तगू’ के संरक्षक हैं। ‘गुफ्तगू’ के संरक्षकों को ‘गुफ्तगू पब्लिकेशन’ की सभी पुस्तकें और गुफ्तगू पत्रिका के सभी उपलब्ध पुराने अंक दिए जाते हैं। संरक्षकों का पूरा परिचय फोटो सहित हम एक अंक में छापते हैं और सभी अंक के संपादकीय बोर्ड टीम में उनका नाम छपता है, निधन के बाद भी हम संस्थापक संरक्षक के रूप में उनका नाम प्रकाशित करते हैं।