देहरादून: मानवाधिकार जन निगरानी समिति, पीपल के संयुक्त तत्वाधान में, 5 नवंबर 2023 को देहरादून के दून पुस्तकालय और शोध केंद्र में पत्रकारों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।इस कार्यशाला में स्वास्थ्य विशेषज्ञ व डॉक्टर ने भारत में गैर संचारी रोगों में कमी के लिए आम जनमानस में जागरूकता बढ़ाने के लिए चर्चा हुआ।
इस कार्यशाला में आये हुए पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रो० प्रदीप अग्रवाल, कम्युनिटी मेडिसिन, आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, ऋषिकेश ने कहा की भारत में गैर संचारी रोगों के भार को कम करने के लिए लोगो को स्वस्थ्य जीवन शैली जीने के साथ व्यायाम करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा की अधिक मात्रा में वसा, नमक और चीनी के उपयोग से कई गैर संचारी रोग हों जाते है जिससे कारण लोगो को आजीवन दवा लेना पड़ता है।
भारत में हर साल 58 लाख से अधिक भारतीय गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे कैंसर, मधुमेह, अनियंत्रित उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों की वजह से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। इन बिमारियों में सभी नहीं तो अधिकतर बिमारियों का इलाज मुश्किल है, लेकिन एक बेहतर स्वस्थ्य खाद्य सिस्टम से इनको रोका जा सकता है। एक स्वस्थ आबादी के लिए खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के पैक के सामने एक अनिवार्य चेतावनी को एक प्रभावी नीतिगत समाधान माना जाता है।
इस मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) के संस्थापक व संयोजक डॉ. लेनिन रघुवंशी ने कहा, “देश में विशेष रूप से बच्चों और युवाओं में एनसीडी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, यह उचित समय है कि देश पोषण संबंधी लेबलिंग पर ध्यान केंद्रित करे जो उपभोक्ताओं के लिए ‘चेतावनी लेबल’ के रुप में सबसे अधिक कारगार है। हमें उम्मीद है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सुझावों पर विचार किया जाएगा।”
लेनिन ने आगे कहा, “शोध से पता चलता है कि वह लेबल जो केवल पोषक तत्वों को उजागर करते हैं, यानी चेतावनी लेबल, सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सबसे अच्छा काम करता है। इस प्रकार के आसानी से पढ़े दा सकने वाले खाद्य लेबल तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है। इसके अलावा भारत, जहां हृदय रोग के वैश्विक बोझ का 25% हिस्सा है, को सरल चेतावनियों से सबसे अधिक लाभ होगा जो लोगों को आसानी से सचेत कर सकता है।”