देहारादून। वर्तमान में भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड द्वारा आयुर्वेदिक फार्मेसी, नर्सिंग, पंचकर्म तथा योग से सम्बन्धित पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। जिसमें उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का पंजीकरण भी परिषद द्वारा ही किया जाता है। परिषद द्वारा आयुर्वेदिक, यूनानी तथा अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों का पंजीकरण भी किया जाता है। सरकारी क्षेत्र में सीमित अवसर होने के कारण कई अभ्यर्थी बेरोजगार हैं। इसी के दृष्टिगत राज्य सरकार के निर्देशों के अनुरूप कार्य करते हुए भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड द्वारा निर्णय लिया गया है कि परिषद में पंजीकृत आयुर्वेदिक तथा यूनानी मेडिकल च पैरामेडिकल अभ्यर्थियों को निजी क्षेत्र में रोजगार प्रदान किये जाने हेतु कायवाही प्रारम्भ की जायेगी। इसके लिए आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा से जुडे चिकित्सालयों, वेलनेस सेन्टरों, पंचकर्म सेन्टरों, योग सेन्टरों तथा फार्मेसियों (औषधि निर्माणशालाओं) से सम्पर्क कर उनकी मांग तथा वांछित योग्यता के अनुसार योग्य अभ्यर्थियों को रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा।
परिषद के अध्यक्ष डॉ० जे०एन० नौटियाल द्वारा बताया गया कि मा० प्रधानमंत्री तथा मा० मुख्यमंत्री जी के विजन के अनुरूप आगामी 10 वर्षों में आयुर्वेद तथा अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में विकास हेतु कार्य करने के लिए भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड द्वारा प्रशिक्षित तथा पंजीकृत आयुर्वेदिक / यूनानी मेडिकल व पैरामेडिकल अभ्यर्थियों को उनकी योग्यता तथा उपलब्धता के अनुसार निजी क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराये जाने का निर्णय लिया गया है। आगामी वर्षों में निजी क्षेत्र में आयुर्वेद तथा योग प्रशिक्षितों की भारी मांग की सम्भावना है। इसी के दृष्टिगत परिषद द्वारा उपरोक्त निर्णय लिया गया है।
परिषद की रजिस्ट्रार श्रीमती नर्वदा गुसांई द्वारा बताया गया कि राज्य सरकार तथा उत्तराखण्ड शासन द्वारा प्रदत्त निर्देशों के अनुरूप आगामी वर्षों में उत्तराखण्ड राज्य को आयुर्वेद, योग तथा अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में अग्रणी राज्य बनाने तथा इनसे जुड़े प्रशिक्षितों को रोजगार उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य तथा निजी क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाओं के दृष्टिगत परिषद द्वारा उपरोक्तानुसार निर्णय लिया गया है।