उत्तराखंडकोविड-19

मरीजों, तीमारदारों, स्टाफ ने ली नशामुक्त भारत की प्रतिज्ञा

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत सोमवार को विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर संस्थान में अडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी (ए.टी.एफ.) के तत्वावधान में समाज में बढ़ती नशावृत्ति के निरमूल के मद्देनजर शपथ ग्रहण समारोह तथा पौधरोपण किया गया।

बताया गया कि इन विशेष कार्यक्रमों का उद्देश्य युवाओं को नशा मुक्त भारत अभियान के तहत जागरुक करना और लोगों को नशा छोड़ने के लिए प्रेरित करना था। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान ए.टी.एफ. के नोडल अधिकारी डॉ. विशाल धीमान ने सभी को मनोचिकित्सा विभाग की ओपीडी में नशीले पदार्थों के सेवन के विरुद्ध शपथ दिलाई। जिसमें सभी मरीजों के साथ साथ तीमारदारों, मेडिकल छात्र-छात्राओं, नर्सिंग अधिकारियों आदि ने बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर सभी को अवगत कराया गया कि एम्स ऋषिकेश में हर तरह के व्यस्न उपचार की सभी उच्चस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि ए.टी.एफ. एम्स ऋषिकेश को शुरू करने का उद्देश्य नशे के आदी लोगों को उत्तराखंड राज्य में मुफ्त और उच्च गुणवत्तायुक्त उपचार प्रदान करना है, जिससे ग्रसित व्यक्ति को इसके लिए किसी अन्य प्रदेश में नहीं भटकना पड़े।

सोमवार को नशा मुक्त भारत अभियान के अतंर्गत आयोजित कार्यक्रम के तहत एम्स डीन अकादमिक प्रो. जया चतुर्वेदी की अगुवाई में संस्थान के अधिकारियों, मेडिकल छात्रों आदि ने संस्थान परिसर में पौधरोपण किया।

इस अवसर पर संस्थान के ए. टी. एफ प्रमुख डॉ. विशाल धीमान ने बताया कि वर्ष 2019 में भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा किए गए एक शोध में पाया गया कि उत्तराखंड में लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे ज्यादा नशीले पदार्थों में तंबाकू के अलावा शराब, भांग, गांजा, चरस, स्मैक, हेरोइन जैसे उत्पाद शामिल हैं। बताया कि संस्थान में इन नशीले पदार्थों के आदी हो चुके ग्रसित मरीजों के लिए ए. टी. एफ., एम्स ऋषिकेश में पूर्णत: मुफ्त उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

उन्होंने बताया कि इसके तहत मरीज को सभी प्रकार की आवश्यक औषधियां, अत्याधुनिक उपचार सुविधाएं, अस्पताल में सभी मरीजों के लिए बिस्तर की सुविधा आदि निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।

कार्यक्रम में उपचिकित्सा अधीक्षक डॉ. भारत भूषण, डीएमएस डॉ. नरेंद्र कुमार, मनोरोग विभागाध्यक्ष डॉ. अनिंदया दास, अडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी के नोडल अधिकारी डॉ. विशाल धीमान के अलावा संकायगण डॉ. रवि गुप्ता, डॉ. विजय कृष्णन, काउंसलर सपना पुंडीर, सीमा प्रजापति, नर्सिंग ऑफिसर सुरेश, दिनेश, दीपक, प्रकाशिनि आदि मौजूद थे।

इंसेट
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, भारत सरकार की ओर से समाज में नशीली दवाओं की मांग के विरुद्ध एवं उससे जुड़ी समस्याओं को समाप्त करने हेतु एक नोडल एजेंसी है, जिसके तहत 15 अगस्त- 2020 को एक प्रमुख जन जागरुकता अभियान ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ (एन. एम. बी. ए. / NMBA) शुरू किया गया। इस अभियान का विस्तार देश के सभी जिलों में हो गया है। निरंतर समर्थन के साथ और सभी हितधारकों के प्रयासों से एन. एम. बी. ए. (NMBA) जनसमुदाय में इस विषय पर संवेदनशीलता बढ़ाने और जन-जन को शिक्षित करने में सक्षम रहा है। इसमें विभिन्न गतिविधियों द्वारा पुरे देश के 11.26 करोड़ से अधिक लोगों, जिनमें 3.55 करोड़ से अधिक करोड़ युवा, 2.35 करोड़ महिलाएं, 3.40 लाख शिक्षण संस्थान व 9000 से अधिक स्वयंसेवक शामिल हैं।
बताया गया है कि सरकार द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत उत्तराखंड को भी 2025 तक नशा मुक्त बनाने के आह्वान किया गया गया है। एन. एम. बी. ए. के अंतर्गत देशभर में अभी तक जनजागरुकता के तहत विभिन्न तरह की लगभग 3.93 लाख गतिविधियों का आयोजन किया जा चुका है।

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