उत्तराखंड

कवि शिरोमणि ने किया टिहरी बांध एवं कोटेश्वर बांध क्षेत्र का भ्रमण, यहां ग्रामीणों ने दिया बढ़ा सम्मान

टिहरी, केदार सिंह चौहान ‘प्रवर’: उत्तराखण्ड कुमांऊ की मानसभूमि चंपावत के विश्व प्रसिद्ध संस्कृत और हिन्दी के महाकवि व साहित्य शिरोमणि डा. कीर्तिवल्लभशक्टा को श्रीमहादेव ग्राम छाती में गांववासियों द्वारा एक सादे समारोह में भव्य अभिनन्दन के उपरान्त ‘चार धाम गढ़वाल तीर्थ सम्मान’ से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें श्री राम सिंह कुठ्ठी नेगी के हाथों उनके आवास पर आयोजित एक सादे समारोह में सपत्नीक प्रदान किया गया। इस मौके पर मौजूद श्रीमहादेवगांववासी नागरिकों ने कवि शिरोमणि डा. शक्टा व उनकी सहधर्मिणी श्रीमती देवकी देवी का माल्यार्पण के साथ शॉल भेंटकर अभिनन्दन भी किया गया। साथ ही चार धाम स्मृति चिन्ह भी भेंट किए।

महाकवि डा. शक्टा अपनी चार धाम यात्रा भ्रमण के दौरान यहां श्रीमहादेवग्राम छाती आये थे। टिहरी पहुंचने पर डा. शक्टा ने पहले सिद्धपीठ श्रीसुरकण्डा देवी के दर्शन किए तदोपरान्त उन्होंने मखलोगी प्रखण्ड में पदार्पण के उपरांत टिहरी व कोटेश्वर बांध क्षेत्र का भ्रमण किया, रात्रि विश्राम हेतु डा. शक्टा श्रीमहादेवग्राम छाती में श्री रामसिंह कुठ्ठी नेगी के आवास पर आये। रविवारीय प्रातः डा. शक्टा ने श्रीमहादेव मन्दिर में पूजार्चन किया। इसी दौरान डा. शक्टा ने छाती महादेव पर कुछ श्लोकों की रचना भी की। उनकी डायरी में रचित श्लोकों का चित्र निम्नांकित हैः-

आपको बता दें कि महाकवि डा. कीर्तिवल्लभशक्टा ‘शाकटायन’ उच्चकोटि के संस्कृतनिष्ठ, धर्मनिष्ठ, कर्मनिष्ठ, कुमॉंउनी कुलीन ब्राह्मण हैं। इनके पूर्वज सतारा महाराष्ट्र से लगभग 12वीं शताब्दी में काठमांडू आये थे। काठमांडू से आकर चंपावत में चन्द शासकों के धर्मगुरु थे। महाकवि डा. कीर्तिवल्लभशक्टा ‘शाकटायन’ का जन्म 02 जून 1954 को पं. बद्रीदत्त शक्ता जी के यहां हुआ। इनका पूरा परिवार संस्कृतनिष्ठ है, इनके सुपुत्र डा. कमलेश शक्टा संस्कृत उपाचार्य हैं।

महाकवि डा. कीर्तिवल्लभशक्टा ‘शाकटायन’ की संस्कृत सेवा के फलस्वरूप संस्कृत अकादमी उत्तराखण्ड द्वारा खर्ककार्की को संस्कृत ग्राम घोषित किया गया है। इनका परिवार खर्ककार्की के जिस तोक में रहता है, उसका नाम शकटा है। जिससे इनकी जाति भी शक्टा कहलाने लगी। इनकी 16 वर्ष की अवस्था में उनकी माता श्रीमती कलावती जी का स्वर्गवास हो गया था। डा. शक्टा के अनुसार उनकी माता स्व. श्री कलावती जी ने ही इन्हें अक्षरबोध करवाया था।

डा. शक्टा जी की प्रारम्भिक शिक्षा गांव में हुई। संस्कृत प्रारम्भिक शिक्षा चंपावत के ऐंग्लो संस्कृत विद्यालय में हुई। उच्च शिक्षा हेतु वे काशी बनारस चले गए। वहां इन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालय से शास्त्री और आचार्य तथा पीएचडी शिक्षा ग्रहण की। पं. नारायण दत्त पाण्डेय चंपावत से व्याकरण शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की। काशी के साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान कैलाशपति त्रिपाठी के अधीन पीएचडी प्राप्त कर वे अपनी साहित्य प्रेरणा के गुरु डा. विजेन्द्र तिवारी जी को मानते हैं। डा. शक्टा ने 1980 से संस्कृत साहित्य के पद पर संस्कृत शिक्षण कार्य शुरू किया तथा प्रवक्ता के पद से 2016 में सेवानिवृति हुई। संस्कृत शिक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए भारत सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय पात्रता पुरस्कार से अलंकृत किया।

यद्यपि महाकवि डा. कीर्तिवल्लभशक्टा ‘शाकटायन’ ने संस्कृत की विभिन्न विधाओं में साहित्य सृजन किया तथापि काव्य के क्षेत्र में इनका विशिष्ट योगदान है। अखिल भारतीय विभिन्न कवि सम्मेलनों में इनकी सफल भागीदारी रही है। डा. शक्टा का संस्कृत नाटक “सीता रामचरितम्“ है। कूर्माचल दर्शन संस्कृत खण्ड काव्य है। न्याय मूर्ति गोरल महाकाव्य, शिवशक्ति महाकाव्य, ये दोनों हिन्दी के चर्चित महाकाव्य हैं। मानस भूमि में चर्चित न्यायमूर्ति गोरल महाकाव्य के पाठ मात्र से लोगों की मनोकामनायें पूर्ण हुई हैं। डा. शक्टा का ’राष्ट्रीय भवति सर्वस्वम्’ नाटक बड़ा लोकप्रिय रहा। डा. शक्टा को संस्कृत साहित्य की उत्कृष्ट सेवा के लिए विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इन पुरस्कारों में अखिल भारतीय डा. लक्ष्मीनारायण पुरस्कार, पाण्डेय स्मृति सम्मान, शब्द प्रवाह उज्जैन, गुमानी पुरस्कार पिथौरागढ़, कुमांउनी साहित्य सेवा पुरस्कार अल्मोड़ा शामिल हैं।

अपनी चार धाम यात्रा के दौरान संस्कृत साहित्य शिरोमणि महाकवि डा. कीर्तिवल्लभशक्टा ‘शाकटायन’ मखलोगी प्रखण्ड में आये। जहां उन्होंने पौराणिक शिवालय छाती में भगवान शिव का अर्चन किया और वहीं पर कुछ श्लोकों की रचना भी की।

श्रीमहादेवग्राम छाती वासियों ने साहित्य शिरोमणि एवं महाकवि डा. शक्टा व उनके साथियों डा. नारायण पाण्डेय का महादेव भूमि में माल्यार्पण एवं शॉल भेंटकर अभिनन्दन किया और सपरिवार चार धाम गढ़वाल तीर्थ सम्मान से सम्मानित किया। इस मौके पर श्री राम सिंह कुठ्ठी नेगी, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कमला कुठ्ठी, उनके पिता श्री भाग सिंह कुठ्ठी, मास्टर आशुतोष कुट्ठी, उमेद सिंह गुसाईं, सेवानिवृत फायर सर्विस दरोगा श्री सौकार सिंह चौहान, सेवानिवृत बैंक खजांची श्यामसिंह कुठ्ठी, केदारसिंह चौहान प्रवर, छायाकार राजकमल चौहान आदि अनेक लोग मौजूद रहे।

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