उत्तराखंड

एनसीआर में मुख्य यात्री यात्रा प्रबंधक के सम्मान में हुई काव्य गोष्ठी

प्रयागराज। साहित्यिक संस्था ‘गुफ़्तगू’ के तत्वावधान में सोमवार को प्रयागराज जंक्शन के पास स्थित रेलवे ऑफिसर गेस्ट हाउस में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य यात्री यात्रा प्रबंधक बसंत कुमार शर्मा के सम्मान में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती मंजरी शर्मा ने किया। संचालन डाक विभाग के एडीशनल डायरेक्टर मासूम रज़ा राशदी ने किया।
बसंत कुमार शर्मा ने इलाहाबाद से जुड़ी कविताएं सुनाईं। वहां मौजूद लोगों ने इस कविता को बार-बार आग्रह करके सुना। उन्होंने कहा-
यहां पर जो भी आता है खुशी से झूम जाता है,
इलाहाबाद में इंसानियत के फैन रहते हैं।
कहां असली ठिकाना है समझ में ही नहीं आता,
कभी गोवा में डेरा है, कभी उज्जैन रहते हैं।
गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी की शायरी भी काफी पसंद की गई-
आज साहिल पे इतनी खुश्बू है,
कोई चेहरे को मल रहा है क्या।
किसलिए बदहवास हैं तारे,
कोई सूरज निकल रहा है क्या।
वरिष्ठ कवि अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’ ने मौजूदा हालात पर कहा-
टूटते मकान घर आंसुओं डूबकर,
हाथ जोड़कर कहें हमें न सताइए।
अधिवक्ता शिवजी यादव ने दोहा प्रस्तुत किया-
जननी ही जग में भले, करें काम निस्वार्थ,
बाकी जग में जो करें, रखते हैं वो स्वार्थ।
मासूम रज़ा राशदी ग़ज़ल को सभी खूब सराहा-
उल्फ़तों का शजर नहीं लगता, अब यह घर मेरा घर नहीं लगता।
तुमने इतना डरा दिया मुझको, अब ज़रा सा भी डर नहीं लगता।
युवा कवि धीरेंद्र सिंह नागा ने ख़ास अंदाज़ में कविता पेश किया-
जो देते हैं गरीबों बुलाकर दोस्तो खाना,
गरीबों की दुआओं में वही भगवान होते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती मंजरी शर्मा ने प्रयागराज की साहित्यिक विरासत की खूब प्रसंशा की। उन्होंने कहा कि प्रयागराज की साहित्यिक विभूतियों को शामिल किए बिना देश का साहित्यिक इतिहास पूरा नहीं लिखा जा सकता।

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