पार्टियों से गरीब परिवारों का सवाल – हमारे मुद्दों पर आपकी राय क्या है?
आज दिहाड़ी मज़दूर संगठनों की और से सृष्ट मंडल द्वारा भारतीय जनता पार्टी और इंडिया गठबंधन को 518 मज़दूर परिवारों की और से पत्र सौंपवा कर सवाल उठाया – हमारे घरों, हमारे बच्चों और हमारे हक़ों पर आपका राय क्या है? पत्र द्वारा उन्होंने कहा कि हम किसी फ्लैट या कोठी में नहीं रह सकते हैं, हमें मज़दूर बस्तियों में ही रहना पड़ता है, लेकिन जब 2022 तक सबको घर दिलाने का आश्वासन था, उल्टा 2016 का अधिनियम पर अमल न होने के कारण जून महीने से पुरे राज्य की मज़दूर बस्ती खतरे में आने वाले हैं। काम करा कर भुगतान नहीं देने वाले लोगों पर कार्यवाही करने का और मज़दूरों के बच्चों को कानून के अनुसार छात्रवृति दिलाने के लिए व्यवस्था बनाये। निजी कंपनियों को अरबों की सब्सिडी दी जा रही है लेकिन महिलाओं के लिए बनाये गए वन स्टॉप सेंटर एवं मज़दूरों के लिए बनाये हुए कल्याणकारी योजनाओं के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। इन सारे मुद्दों पर आपका पार्टी का राय क्या है?
भारतीय जनता पार्टी की और से कार्यालय सचिव कौस्तुभ भान जोशी ने कहा कि पार्टी इन मुद्दों पर गंभीर है और आगे भी विचार करेगी। मज़दूर परिवारों के पत्रों को राज्य अध्यक्ष तक पहुंचवाया जायेगा। इंडिया गठबंधन की और से कांग्रेस पार्टी की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी एवं इंडिया गठबंधन के संजोयक शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि विपक्षी दल लगातार आवाज़ उठा रहे हैं कि भाजपा सरकार दोनों ग्रामीण और शहरी इलाकों में कांग्रेस सरकार के समय के जनहित कानूनों पर अमल न कर लोगों के घरों एवं आजीविकाओं को खतरे में डाल रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पांच गारंटी द्वारा महिलाओं, मज़दूरों, युवाओं और अन्य तबकों को राहत मिलेगी। उन्होंने वीडियो बयान भी दिया, जो सलग्न है।
सृष्ट मंडल में रामु सोनी, अशोक कुमार, राजेंद्र शाह, सुनीता देवी, संजय सहनी और अन्य लोग शामिल रहे।
पत्र सलग्न।
पत्र
सेवा में,
प्रदेश अध्यक्ष या सचिव
समस्त राजनीतिक दल
महोदय / महोदया,
आगामी आम चुनाव से पहले हम उत्तराखंड के मज़दूर और गरीब वर्ग आपसे कुछ सवाल पूछना चाह रहे हैं:
– राज्य के शहरों में हमें न कोई कोठी मिलने वाला है न कोई फ्लैट। हम और अन्य गरीब लोगों को मज़दूर बस्तियों में ही रहना पड़ता है। 2016 में ही बस्तियों का नियमितीकरण के लिए कानून बना था, फिर 2018 में जन आंदोलन के बाद बस्तियों को नहीं तोड़ा जायेगा, इसके लिए अध्यादेश लाया गया था। प्रधान मंत्री का आश्वासन था कि 2022 तक देश में हर परिवार को घर मिलेगा। यह सब होने के बाद आज तक न हमारी बस्तियों का नियमितीकरण हुआ है और न ही हमें घर मिला है। जून 2024 में बस्तियों को सुरक्षा देने वाला अधिनियम भी खत्म हो रहा है। तो जब हमें आश्वासन दिया गया था कि 2022 तक हम सबको घर मिलेगा, उल्टा हमारे सबके घर एवं कमरे जून से खतरे में आने वाले हैं। इस पर आपकी पार्टी का राय क्या है?
– अनेक मज़दूरों को भुगतान समय पर नहीं मिला है, क्योंकि ठेकेदार या मालिक भुगतान कही बार करने से इंकार करते हैं। क़ानूनी कारवाई करने के लिए श्रम विभाग में 35 श्रम परिवर्तन अधिकारी होना चाहिए, लेकिन पुरे राज्य में अभी सिर्फ तीन हैं। 2020 में लाया गया नए श्रम कानून के अनुसार ऐसे मालिकों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करना और मुश्किल होने वाला है। मज़दूरों का मांग रहा है कि उनके लिए कॉल सेंटर खोला जाये ताकि वे । इस समस्या पर आपकी पार्टी का क्या राय है?
– दिहाड़ी निर्माण मज़दूरों का क़ानूनी हक़ है कि उनके बच्चों को पढ़ाने के लिए छात्रवृति मिलेगी। बेज़रूरत शर्तों को लगा कर इस योजना को लगभग ख़तम कर दिया गया है। इसपर आपकी पार्टी का क्या राय है?
– निवेश के नाम पर केंद्र और राज्य सरकारों की और से उत्तराखड में निजी कंपनियों को अरबों की सब्सिडी और सस्ते रेट पर सरकारी ज़मीन दी जा रही है। लेकिन मज़दूर हित योजनाओं या महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाये हुए वन स्टॉप सेंटर को चलाने के लिए सरकार के पास निधि नहीं है। तो हमारा मांग है कि इन सब्सिडयों को बंद किया जाये और यह पैसे महिलाओं और मज़दूरों पर खर्च किया जाये। इसपर आपकी पार्टी का क्या राय है?
अतः आपसे निवेदन है कि उपरोक्त मुद्दों और गरीबों से संबंधित अन्य मुद्दों पर आपकी पार्टी भी जनहित कदम उठाये।