उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने भारतीय वानिकी अनुसंधान संस्थान (एफ आर आई) में हो रही भर्तियों को लेकर व्यापक सवाल खड़े किए हैं। यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने आरोप लगाया कि एफ आर आई के अंदर बड़े पैमाने पर पेपर लीक कराए जा रहे हैं और इसी कारण संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों के परिजन बड़ी संख्या में नियुक्ति पा रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने एफ आर आई के अंदर हरियाणा मूल के अभ्यर्थियों की बड़े स्तर पर तैनाती के पीछे पेपर सॉल्वर गैंग के साथ विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत होने का भी आरोप लगाया है।
यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने आज मीडिया के सामने यह खुलासा किया कि एफ आर आई में हाल ही में हुई भर्तियों में पास होने वाले अभ्यर्थियों के दस्तावेजों के सत्यापन का कार्य चल रहा है सत्यापन के दौरान कुछ मुन्ना भाई भी पकड़ में आए, जिस पर उनको मंगलवार देर शाम कैंट थाने लाया गया लेकिन बाद में उनको fri. संस्थान के कर्मचारी अधिकारी बिना मुकदमा दर्ज कराए उनको वापस अपने साथ ही ले गए।
जब कैंट के थाना प्रभारी से इस मामले में पता किया गया तो थाना प्रभारी शंकर सिंह बिष्ट ने भी इस बात की पुष्टि कर दी कि कुछ लोगों को थाने लाया गया था लेकिन बाद में f.ri. के अधिकारियों ने विभागीय कार्यवाही की बात कह कर उनको वापस भी ले गए। इसलिए कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया।
यही नहीं शिव प्रसाद सेमवाल ने यह भी आरोप लगाया कि मंगलवार की शाम को चार पांच संदिग्ध मुन्ना भाई चकमा देकर भागने में सफल रहे लेकिन ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई और न टी भागने वाले अभार्थियों के खिलाफ कोर्ट रिपोर्ट दर्ज की गई।
यूकेडी नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने दावा किया कि सीसीटीवी फुटेज की जांच कराई जाए तो सारा मामला निकल के सामने आ जाएगा। इसके अलावा उन्होंने इस गड़बड़ी की विजिलेंस जांच कराए
जाने की भी बात कही। उन्होंने आरोप लगाया कि चयन समिति में शामिल अधिकारी के मातहत काम करने वाले कई कर्मचारियों के परिजन भी नियुक्त हो गए हैं जिससे भर्ती घोटाले पर मुहर लगती है।
यूकेडी नेता से शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि इससे पहले भी संस्थान में कार्यरत टाइपिस्ट प्रीति चौटाला के भाई सनी चौटाला का मेरिट में दूसरे स्थान पर चयन होने को लेकर सवाल खड़े किए गए थे लेकिन संस्थान ने इस पर भी कोई जांच नहीं की।
शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि एफ आर आई को तुरंत संज्ञान लेकर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाकर पहले इस घोटाले की जांच करनी चाहिए। यदि एफ आर आई जल्दी ही संज्ञान नहीं लेता तो केंद्रीय सतर्कता आयोग सहित उच्चाधिकारियों को सभी उपलब्ध दस्तावेजों के साथ शिकायत दर्ज कराई जाएगी।