एम्स ऋषिकेश में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
चिकित्सा ब्रोंकोस्कोपी और बच्चों की अन्य पल्मोनरी जांचों के प्रशिक्षण और आधुनिक तकनीकों के अभ्यास हेतु एम्स ऋषिकेश में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के पहले दिन चिकित्सकों को ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया का प्रशिक्षण और दूसरे दिन तपेदिक व अस्थमा के उपचार हेतु नवीनतम तकनीकों पर चर्चा के उपरांत अभ्यास कराया गया।
एम्स के पीडियाट्रिक विभाग की ’पीडियाट्रिक पल्मोनरी व क्रिटिकल केयर’ डिवीजन के तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में बाल चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया फाइबर ऑप्टिक कैमरे के माध्यम से वायुमार्ग और फेफड़ों की संरचनाओं को सीधे देखने की विशेष चिकित्सीय प्रक्रिया है। कार्यशाला को संबोधित करते हुए एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक और संस्थान में बाल चिकित्सा पल्मोनोलॉजी स्वास्थ्य सेवाओं की संस्थापक प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा कि बच्चों के फेफड़ों में छोटे वायुमार्गों के कारण ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है और इस प्रक्रिया को करने के लिए विशेष निपुणता की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों की सांस नली में फंसे भोज्य पदार्थ अथवा किसी टुकड़े आदि के फंस जाने पर ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया से पता लगाया जा सकता है। साथ ही वायु नलिकाओं में फंसे ऐसे टुकड़ों या भोज्य पदार्थ को इस विधि से हटाया भी जा सकता है।
उल्लेखीय है कि एम्स ऋषिकेश में छोटे बच्चों के श्वास रोग से सम्बन्धित विभिन्न रोगों के इलाज के लिए एक विशेष ’पीडियाट्रिक पल्मोनरी एवम् क्रिटिकल केयर यूनिट’ स्थापित है। इस यूनिट में उच्च स्तर की आधुनिक मेडिकल तकनीकों सहित बेहतर इलाज के लिए उच्च प्रशिक्षित पीडियाट्रिक पल्मोनरी बाल चिकित्सा विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। कार्यशाला का आयोजन एम्स ऋषिकेश और अन्य मेडिकल संस्थानों के बाल चिकित्सा पल्मोनरी के क्षेत्र में कार्य कर रहे चिकत्सकों की क्षमता निर्माण सुनिश्चित करने हेतु आयोजित किया गया था। इस बाबत पीडियाट्रिक पल्मोनरी डिवीजन के डॉ. लोकेश तिवारी ने बताया कि कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले प्रशिक्षुओं को फेफड़ों के सिमुलेशन मॉडल पर ब्रोंकोस्कोपी करने की प्रक्रिया सीखने और जानवरों के फेफड़ों पर इस विधि का अभ्यास करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दूसरे दिन बच्चों में ब्रोन्कियल अस्थमा और तपेदिक के उपचार प्रबंधन में विभिन्न जांचों पर चर्चा की गई। प्रशिक्षुओं ने स्पाइरोमेट्री, फेफड़े के अल्ट्रासाउंड, नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्सर्जन (एफ.ई.एन.ओ.) का परीक्षण और श्वसन पथ का आंकलन करने के लिए दोलन तकनीक (एफओटी) के उपयोग सहित विभिन्न प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण देकर अभ्यास कराया गया।
संस्थान के सिमुलेशन लैब में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय ख्याति के विशेषज्ञ चिकित्सकों को आमंत्रित किया गया। इनमें दिल्ली से डॉ. कृष्ण चुघ, कानपुर से डॉ. रश्मि कपूर, कोलकाता से डॉ. पल्लब चटर्जी और मुम्बई से डॉ. परमार्थ चंदने के अलावा एम्स ऋषिकेश से प्रोफेसर मीनू सिंह, संकाय सदस्य प्रोफेसर लोकेश तिवारी, प्रोफेसर गिरीश सिंधवानी और डॉ. मयंक मिश्रा आदि शामिल थे। कार्यशाला में सीनियर रेजिडेन्ट्स डॉ. खुश्बु तनेजा और डॉ. मान सिंह परिहार सहित कई अन्य ने सहयोग किया।