उत्तराखंड

एम्स ऋषिकेश के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में फोरेंसिक नर्सिंग विषय पर संगोष्ठी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के कॉलेज ऑफ नर्सिंग में फोरेंसिक नर्सिंग विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें फोरेंसिक विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों को संबंधित विषय से संबंधित गूढ़ जानकरियों से रूबरू कराया।

विषय विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि हिंसा और दुर्व्यवहार के प्रभावों को संबोधित करने अथवा कम करने, पीड़ितों को आवश्यक देखभाल प्रदान करने और अपराधियों को उनके द्वारा किए गए अपराध के प्रति को जवाबदेह ठहराने में न्याय प्रणाली की सहायता करने में फोरेंसिक नर्सिंग अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

यह महत्वपूर्ण विषय खासकर हिंसा, दुर्व्यवहार और आघात से जुड़े मामलों में चिकित्सा देखभाल और कानूनी प्रणाली के बीच की खाई को पाटता है और अपराधों की जटिलतम गुत्थियों को सुलझाने में कानून के लिए मददगार साबित होता है।

गौरतलब है कि वर्तमान में भारतीय नर्सिंग परिषद द्वारा बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम में फोरेंसिक नर्सिंग एक नया विषय जोड़ा गया है।जिसकी विषय वस्तु व कार्यप्रणाली से अवगत कराने के लिए एम्स कॉलेज ऑफ नर्सिंग में विद्यार्थियों के लिए संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रोफेसर डॉ. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार मित्तल व प्राचार्य नर्सिंग प्रोफेसर डॉ. स्मृति अरोड़ा ने विशेषरूप से हिस्सा लिया।

वक्ताओं ने महत्वपूर्ण आपराधिक मामलों के प्रबंधन और दुर्व्यवहार के पीड़ितों की देखभाल में नर्सों की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला। डीन प्रोफेसर जया ने बताया कि अब ऐसे मामलों की गंभीरता बढ़ गई है।लिहाजा नर्सेस साक्ष्य एकत्रिकरण, उन्हें संरक्षित करने व साक्ष्यों का दस्तावेजीकरण कर सकती हैं, जिनका उपयोग संबंधित केस की न्याय प्रक्रिया के दौरान आपराधिक जांच और कानूनी कार्यवाही में किया जा सकता है।

संगोष्ठी में बतौर विशिष्ट वक्ताओं में आईक्यू सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग साइंसेज, दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल की प्रिंसिपल डॉ. जयदीपा आर. शामिल थीं, उन्होंने भारत और विश्व स्तर पर फोरेंसिक नर्सिंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं व भूमिका पर व्याख्यान दिया।

एम्स ऋषिकेश के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. आशीष भूटे ने ‘पीड़ित और आरोपी के अधिकार’ विषय पर प्रकाश डाला। एमवीएएसएमसी, उत्तर प्रदेश के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अरिंदम चटर्जी ने ‘पीड़ित की जांच और साक्ष्य के संरक्षण’ पर एक सत्र लिया।

संस्थान के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. बिनय कुमार बस्तिया ने ‘भारतीय न्यायिक प्रणाली और फोरेंसिक से संबंधित कानूनी प्रक्रिया’ के बारे में बताया। विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक विभिन्न सत्रों में भाग लिया और विशेषज्ञों से विषय से संबंधित गूढ़ जानकारियों के साथ साथ अपनी शंकाओं का समाधान किया। इस अवसर पर सह-आयोजन सचिव डॉ. ज्योति शौकीन द्वारा विशेषज्ञों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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