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स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए बना सिरदर्द, बिलों में गड़बड़ी और शिकायतों की अनदेखी

देहरादून। उत्तराखंड में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की योजना उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। ऊर्जा निगम (यूपीसीएल) द्वारा रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत लगाए जा रहे स्मार्ट मीटरों को लेकर उपभोक्ताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है। लोगों का आरोप है कि बिना सूचना दिए पुराने मीटर उतारकर नए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं और न तो सीलिंग सर्टिफिकेट दिया जा रहा है और न ही रीडिंग नोट कराई जा रही है।

रायपुर रोड, मोहनपुर और स्मिथनगर जैसे इलाकों में जब ऊर्जा निगम की टीम मीटर बदलने पहुंची तो लोगों को न तो पूर्व सूचना दी गई और न ही मौके पर कोई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद था। वहीं, कई स्थानों पर मीटर बदलने आए कर्मचारियों के पास पहचान पत्र तक नहीं था। सामाजिक कार्यकर्ता वीरू बिष्ट ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में आरटीआई डाली, लेकिन जवाब नहीं मिला।

हर दिन लगाए जा रहे 1500 स्मार्ट मीटर

ऊर्जा निगम के स्मार्ट मीटरिंग प्रमुख शेखर त्रिपाठी के अनुसार, प्रदेश में अब तक 2.53 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। जून 2026 तक सभी घरों में मीटर लगाने का लक्ष्य है। हर दिन औसतन 1500 मीटर लगाए जा रहे हैं। वहीं उपभोक्ताओं का आरोप है कि न तो उन्हें मीटर का सर्टिफिकेट दिया जा रहा है और न ही सही रीडिंग दर्ज कराई जा रही है, जिससे बिलिंग की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।

शिकायत करो…कोई जवाब नहीं!
• उपभोक्ता कहते हैं कि सीएम पोर्टल पर की गई शिकायतों का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल रहा।
• ऑनलाइन और ऑफलाइन शिकायत दर्ज कराने के बावजूद ऊर्जा निगम की चुप्पी परेशानी बढ़ा रही है।
• कई उपभोक्ताओं को कहा गया कि वे अपने खर्च पर चेक मीटर लगवा लें, परंतु यह प्रक्रिया कागजी औपचारिकताओं से भरी हुई है।

बिलों में गड़बड़ी से परेशान उपभोक्ता

देहरादून के वाणी विहार निवासी पीतांबर दत्त लोहनी ने बताया कि उनके पुराने मीटर की अंतिम रीडिंग 10,993 यूनिट थी, जबकि उन्होंने पहले 10,925 यूनिट तक का भुगतान कर दिया था। इसके बावजूद नया बिल 11,564 यूनिट के आधार पर ₹4,751 का भेजा गया। जबकि उनके अनुसार सिर्फ 190 यूनिट का बिल बनता है।

इसी तरह मेहूंवाला की मधुबाला ने बताया कि नए स्मार्ट मीटर के बाद पहला बिल महज पांच दिनों का ₹603 का आया, जबकि दूसरा बिल ₹1,847 का भेजा गया। पहले उनके घर का औसत मासिक बिल ₹1,000 से ₹1,200 के बीच आता था। उपभोक्ताओं में असमंजस है कि स्मार्ट मीटर बिजली बचा रहे हैं या जेब काट रहे हैं।

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