देहरादून। तीर्थंकर महावीर मेडिकल काॅलेज एंड रिसर्च सेंटर के आईवीएफ सेंटर में एक बार फिर बच्चे की किलकारियां गूंज उठीं। स्वार की 50 बरस की महिला की मानो सालों-साल की मुराद पूरी हो गई है, क्योंकि टीएमयू के आईवीएफ सेंटर के बूते 30 बरस से उसकी सूनी गोद खुशियों से भर गई है। महिला के निकाह को 30 साल से अधिक हो गए थे, लेकिन कोई बच्चा नहीं था। वह जगह-जगह अपना इलाज करा चुकी थी, लेकिन निराशा ही मिली। दिल में उम्मीद की एक अंतिम किरण लेकर वह और उसके शौहर नौ माह पूर्व तीर्थंकर महावीर मेडिकल काॅलेज एंड रिसर्च सेंटर में आए। टीएमयू हाॅस्पिटल में आकर वह वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ और आईवीएफ एक्सपर्ट डाॅ. पूनम सिंह से मिले। अपनी कहानी शेयर की। डाॅ. पूनम और उनकी टीम ने आश्वस्त करके अंततः पेशेंट का ट्रीटमेंट करना शुरू कर दिया, लेकिन दुश्वारी यह थी कि पेशेंट की उम्र 50 साल से अधिक थी। इस उम्र में मोनोपाॅज यानी मासिक धर्म बंद होना आम बात है। इसी को ध्यान में रखते हुए डाॅ. सिंह ने उन्हें आईवीएफ अपनाने की सलाह दी। डाॅक्टर के समझाने पर पेशेंट और उसके परिवार वाले सहमत हो गए। इसके बाद डाॅ. पूनम और उनकी टीम ने इस महिला का ब्लासटोसिस्टिस पद्धति से ट्रीटमेंट किया। छह दिन के भ्रूण को यूटेरस में ट्रांसफर कर दिया। यह सफलता पहली बार में ही पा ली। बच्चे का विकास होने लगा। समय-समय पर उसे अस्पताल बुलाकर उसकी जांच भी होती रही ताकि बच्चे की ग्रोथ और पाॅजिशन को समझा जा सके। समय पर महिला की डिलीवरी की गई। महिला ने एक लड़की को जन्म दिया है। आॅपरेशन के दौरान पता चला कि पेशेंट के पेट में बच्चे के संग-संग करीब दो किलो की एक रसौली भी है। रसौली के कारण आॅपरेशन और जटिल था। डाॅ. पूनम और उनकी टीम ने बड़ी सावधानी और तकनीक से पहले बच्चे और फिर रसौली को बाहर निकाला। अब मां और बेटी दोनों स्वस्थ है।
अब तक 700 प्लस आईवीएफ डिलीवरी कर चुकी हैं डाॅ. पूनम सिंह
तीर्थंकर महावीर हाॅस्पिटल की आईवीएफ प्रभारी को आईवीएफ का लम्बा अनुभव है। डाॅ. पूनम अलीगढ़ से एमबीबीएस और एमडी है। वह सिंगापुर से आईवीएफ फेलोशिप है। डाॅ. सिंह के अब तक 15 अंतरराष्ट्रीय और 20 राष्ट्रीय रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं। डाॅ. पूनम सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, यूके, इटली, न्यूजीलैंड आदि देशों की यात्रा कर चुकी हैं। डाॅ. पूनम सिंह कहती हैं, जो नवविवाहित युगल बच्चा चाहते हैं और दो साल तक बच्चा नहीं हो तो वे तुरंत किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें। घरेलू उपायों और झाड़-फूंक में अपना समय नष्ट न करें। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है वैसे-वैसे निसंतान लोगों के लिए बच्चे को जन्म देना और कठिन हो जाता है।