प्रशासन लोगों को ज़बरदस्ती हटाने का प्रयास न करे

आज मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के कार्यालय पर बड़ी संख्या में मज़दूर बस्तियों के निवासी पहुँच कर लोगों को ज़बरदस्ती विस्थापन करने का प्रयास का विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने मांग उठायी कि किसी को बेघर न किया जाये; पुनर्वास की बात करने से पहले प्रशासन अपना तर्क को प्रभावित लोगों के सामने रखे और उनसे वार्ता करे; जो भी पुनर्वास करनी की योजना बनती है, उसपर तय किये गए मानकों के अनुसार और प्रभावित लोगों की सहमति के साथ ही अमल होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आपदा के नाम पर कार्यवाही की जा रही है, तो सबसे पहले सरकार को एलिवेटेड रोड और अन्य विनाशकारी परियोजनाओं को रद्द करना चाहिए, क्योंकि उनसे बाढ़ का खतरा बढ़ेगा। प्रदर्शनकारियों ने ख़ास तौर पर इस बात का विरोध किया कि कांठ बांगला क्षेत्र में सर्वेक्षण के नाम पर लोगों से फिर कागज़ मांगे जा रहे हैं , जबकि यह प्रक्रिया कई बार पहले हो चुकी है, और उनमें से कुछ परिवारों को कहा जा रहा है कि उन को वहां से विस्थापित कर बगल में बना फ्लैट काम्प्लेक्स में जगह दी जाएगी, लेकिन वह फ्लैट काम्प्लेक्स भी नदी के बीच में बना है। इस प्रक्रिया में लापरवाही, जल्दबाजी एवं भेदभाव दिख रहा है।
प्रदर्शनकारियों से वार्ता करते हुए MDDA के सचिव श्री मोहन सिंह बर्निया ने कहा कि इन बातों पर गंभीरता से विचार की जाएगी और स्थानीय लोगों से फिर वार्ता करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया जायेगा।
ज्ञापन सलग्न।
निवेदक
दून समग्र विकास अभियान
*ज्ञापन*
सेवा में
उपाअध्यक्ष
MDDA
विषय: मज़दूर बस्तियों में फिर सर्वे, ज़बरदस्ती हटाने और अनुचित पुनर्वास के संबंध में
महोदय,
हम आज आये हैं देहरादून शहर के अलग अलग क्षेत्रों से और ख़ास तौर पर कांठ बंगला क्षेत्र से इसलिए आपके कार्यालय पर आये हैं क्योंकि बीते कुछ दिनों से कांठ बंगला बस्ती में नगर निगम एवं MDDA के कर्मचारी लोगों से बिजली और पानी के बिल मांग रहे हैं और कुछ लोगों को कह रहे हैं कि उन को वहां से विस्थापित कर बगल में बना फ्लैट काम्प्लेक्स में उनको जगह दी जाएगी। महोदय, इस प्रक्रिया को ले कर हम कुछ बिंदु आपके संज्ञान में लाना चाह रहे हैं:
– महोदय, पिछले साल राष्ट्रीय हरीत प्राधिकरण के आदेश के बहाने इस क्षेत्र में पुरे सर्वेक्षण किया गया था जिसमें अधिकांश मकान 2016 से पहले पाया गया और जो इस बात को नहीं साबित कर पाए, उनकी मकानों को तोड़ दिया गया। इसका मतलब है कि सरकार के खुद की खुद की कार्यवाहियों के अनुसार जिन मकानों को नहीं तोडा गया, वह 2016 से पहले के हैं। तो अभी दुबारा सर्वेक्षण करने की क्या ज़रूरत है और किस सबुत के आधार पर कहा जा रहा है कि कुछ मकान 2016 के बाद के हैं? क्या इसका मतलब यह भी नहीं निकल रहा है कि सरकार ने न्यायालय में गलत हलफनामा पेश किया था?
– किसी भी पुनर्वास के प्रयास करने से पहले प्रशासन को उस क्षेत्र के लोगों से कहाँ कहाँ से हटाने के प्रस्ताव है, उसका तर्क और नक्शा साझा कर लोगों से वार्ता करनी चाहिए। बहुत क्षेत्र में पुनर्वास कराने की ज़रूरत भी नहीं है। फिर प्रस्तावित पुनर्वास योजना को उनसे पारदर्शिता के साथ साझा कर उनकी सहमति से पुनर्वास कराना चाहिए। पुनर्वास भी तय किये गए मानकों के अनुसार होना चाहिए ताकि नए जगह व्यावहारिक एवं आजीविका की नज़र से ठीक हो। पुनर्वास योजना को ऐसे बनना चाहिए जिससे कम से कम लोगों को शिफ्ट होने की ज़रूरत हो, जिससे जनता पर भी नुकसान कम होगा और के प्रशासन पर भी भोज कम पड़ेगा।
– जहाँ तक कांठ बांग्ला क्षेत्र की बात है, जिस फ्लैट काम्प्लेक्स की बात हो रही है, वह खुद नदी के बीच में बना हुआ है। उस रूप में वह ज़्यादा खतरनाक जगह पर बना है।
– जो सरकार बाढ़ की खतरे के बहाने इन मज़दूर परिवारों को हटाना चाह रही है, वही सरकार एलिवेटेड रोड के परियोजना को आगे बढ़ाना चाह रही है, जिससे बाढ़ की खतरा शहर में बहुत बढ़ सकती है। इससे आम जनता के मन में सरकार की मंशा पर आशंका पैदा होती है। इसके अतिरिक्त इस प्रकार की लापरवाही एवं जल्दबाजी से जनता के बीच में आशंका पैदा हो रही है कि प्रशासन किसी भी पुनर्वास के काम में मनमानी एवं भेदभाव करेगी जो आगे की प्रक्रियाओं में भी दिक्कत पैदा कर सकती है।
इसलिए हम चाहते हैं कि:
– सर्वेक्षण प्रक्रिया को रद्द कर, अपने ही हलफनामा के अनुसार, प्रशासन इस बात को मान ले कि जो भी घर अभी उस क्षेत्र में हैं, वह सब 2016 से पहले के हैं।
– किसी भी परिवार पर शिफ्ट करने के दबाव न डाला जाए, पहले प्रशासन उपरोक्त बिंदुओं के अनुसार प्रभावित क्षेत्र के लोगों से वार्ता करे।
– एलिवेटेड रोड और अन्य इस प्रकार के विनाशकारी परियोजनाओं जो इस शहर और ख़ास तौर पर गरीब परिवारों के लिए खतरा बन रही हैं, उनको रद्द कराया जाये।
– जो परिवार खतरनाक स्थिति में रह रहे हैं, उनकी सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाये। हाल में हुई आपदाओं में हुआ नुक्सान को ले कर तुरंत सर्वेक्षण कर प्रशासन मुआवज़ा पहुंचवा दे।





