‘21वीं सदी के इलाहाबादी’ के लिए
– इस किताब को लिखने की शुरूआत पांच साल पहले ही कर दिया था। तब शुरूआत बहुत धीमी थी, अब इसी वर्ष के अंत तक किताब को तैयार करके प्रकाशित करा लेने का इरादा है। कुछ साल पहले इसके लिए अपने-अपने क्षेत्र के दो महान शख़्सियतों से बात करके उनके बारे में लिख चुका हूं, दुर्भाग्य से ये दोनों लोग अब इस दुनिया में नहीं हैं। पहली शख़्सियत हैं शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी, जो उर्दू आलोचना में विश्वस्तरीय नाम है। दूसरी शख़्सियत हैं इफ्तेख़ार अहमद पापू, ये इलाहाबाद अकेले इंटरनेशनल क्रिकेटर कमेंटेटर रहे हैं। इन दोनों लोगों से उनके घर में मुलाकात हुई थी।
‘21वीं सदी के इलाहाबादी’ में 65 लोगों पर लिखना है। अब तक 42 लोगों पर लिख चुका हूं, बाकी लोगों पर काम जारी है।