उत्तराखंडसामाजिक

काम में ला रहे पहाड़ का पानी-पहाड़ की जवानी

वैज्ञानिकों ने भी माना गंगोत्री क्षेत्र का गंगाजल पौष्टिक एवं औषधीय गुणों से भरपूर

Uttarkhandउत्तरकाशी। एक कहावत है पहाड़ों का पानी और जवानी पहाड़ों के काम नहीं आती। इस कहावत को झुटलाया सेवानिवृत्त खंड विकास अधिकारी पूर्णानंद भट्ट ने। उन्होंने सेवानिवृत्ति के बादमिले पैसे तथा बैंक से एक करोड़ रुपये कर्ज लेकर अपने गांव अस्तल (डुण्डा) जिला- उत्तरकाशी में बोतलबंद मिनरल वाटर की फैक्ट्री लगाई, जो सफलता पूर्वक चल रही है। उनका कहना है कि पहाड़ों में वर्तमान समय में यही एकमात्र मिनरल वाटर की फैक्ट्री है जो सफलतापूर्वक चल रही है। पूर्णानंद भट्ट का यह प्रयास उत्तराखण्ड के युवाओं के लिए मील का पत्थर है। इसके साथ ही उन्होंने आयुष गंगाजल के नाम से गंगाजल का उत्पादन भी सफलतापूर्वक संचालित किया है।

उनकी फर्म आयुष इंटरप्राइजेज ग्रामीण क्षेत्र से हिमऐक्वा मिनरल वाटर एवं आयुष गंगाजल का सफलतापूर्वक उत्पादन कर रही है. वर्तमान समय में इस फैक्ट्री में 10–12 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं. श्री भट्ट का कहना है कि भविष्य में वे सौ व्यक्तियों को रोजगार दे सकेंगे।

पूर्णानंद भट्ट ने एक साक्षात्कार में कहा कि गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है। लम्बे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। नदी के जल में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की मात्रा को बनाये रखने की असाधारण क्षमता है; किन्तु इसका कारण अभी तक अज्ञात है। एक राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो कार्यक्रम के अनुसार इस कारण हैजा और पेचिश जैसी बीमारियाँ होने का खतरा बहुत ही कम हो जाता है, जिससे महामारियाँ होने की सम्भावना बड़े स्तर पर टल जाती है, और इसी कारण उनके द्वारा बनाये जा रहे हिम ऐक्वा मिनरल वाटर सबसे अलग एवं लाभदायक है क्योंकि वह गंगोत्री क्षेत्र के गंगाजल से निर्मित हो रहा है जो अनेकों औषधीय गुणों से भरपूर है।

उन्होंने कहा कि विश्व के लोग गंगा जल को पवित्र मानते हैं और बताते हैं कि इसका पानी सड़ता नही है.भारत में बोतल बंद पानी के दिन बहुत बाद में आए हैं. पहले लोग अपने साथ पानी की बोतल लेकर नहीं चलते थे. लेकिन लगभग हर हिंदू परिवार में पानी का एक कलश या कोई दूसरा बर्तन ज़रुर होता था जिसमें पानी भरा होता था. गंगा का पानी.पीढ़ियाँ गुज़र गईं ये देखते-देखते कि हमारे घरों में गंगा का पानी रखा हुआ है- किसी पूजा के लिए, चरणामृत में मिलाने के लिए, मृत्यु नज़दीक होने पर दो बूंद मुंह में डालने के लिए जिससे कि आत्मा सीधे स्वर्ग में जाए. मिथक कथाओं में, वेद , पुराण , रामायण महाभारत सब धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है.

भट्ट ने कहा कि कई करीब सवा सौ साल पहले आगरा में तैनात ब्रिटिश डाक्टर एमई हॉकिन ने वैज्ञानिक परीक्षण से सिद्ध किया था कि हैजे का बैक्टीरिया गंगा के पानी में डालने पर कुछ ही देर में मर गया. दिलचस्प ये है कि इस समय भी वैज्ञानिक पाते हैं कि गंगा में बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है.


‘कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता’
लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एनबीआरआई के निदेशक डॉक्टर चंद्र शेखर नौटियाल ने एक अनुसंधान में प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई ,कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है. डॉक्टर नौटियाल ने यह परीक्षण ऋषिकेश और गंगोत्री के गंगा जल में किया था, जहाँ प्रदूषण ना के बराबर है. डॉक्टर नौटियाल का कहना है कि गंगा जल में यह शक्ति गंगोत्री और हिमालय से आती है.

वे बताते हैं, “गंगा जब हिमालय से आती है तो कई तरह की मिट्टी, कई तरह के खनिज, कई तरह की जड़ी बूटियों से मिलती मिलाती है. कुल मिलाकर कुछ ऐसा मिश्रण बनता जिसे हम अभी नहीं समझ पाए हैं.” वहीं दूसरी ओर एक लंबे अरसे से गंगा पर शोध करने वाले आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ़ रखने वाला यह तत्व गंगा की तलहटी में ही सब जगह मौजूद है. प्रोफ़ेसर भार्गव का तर्क है, “गंगोत्री से आने वाला अधिकांश जल हरिद्वार से नहरों में डाल दिया जाता है. नरोरा के बाद गंगा में मुख्यतः भूगर्भ से रिचार्ज हुआ और दूसरी नदियों का पानी आता है. इसके बावजूद बनारस तक का गंगा पानी सड़ता नहीं. इसका मतलब कि नदी की तलहटी में ही गंगा को साफ़ करने वाला विलक्षण तत्व मौजूद है.”

डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है.डॉ. भार्गव का कहना है कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है. वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है कि गंगोत्री क्षेत्र का गंगाजल सबसे अधिक पौष्टिक एवं औषधीय गुणों से भरपूर है. स्पष्ट है कि इस समय हिमऐक्वा मिनरल वाटर अन्य सभी बोतलबंद पानी से अधिक शुद्ध एवं पौष्टिक है, इसलिए हम सभी को हिमऐक्वा मिनरल वाटर को प्रयोग करने की सलाह देते हैं.

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