टीएमयू के प्रो. प्रीथपाल सिंह ने समझाई इथिक्स कमेटी की वर्किंग


ख़ास बातें
चितकारा यूनिवर्सिटी, पटियाला में गुड क्लीनिकल प्रैक्टिस पर हुई वर्कशॉप
कौन-सा शोध पेशेंट या इंसान पर होगा, इसके भी स्टुडेंट्स को दिए टिप्स
वर्कशॉप में प्रो. प्रीथपाल मटरेजा ने दिए स्टुडेंट्स के सवालों के जवाब भी
आदेश मेडिकल कॉलेज, अंबाला में बताए नई ड्रग के अप्रूवल के तरीके
मुरादाबाद : तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में फार्माक्लोजी विभाग के एचओडी प्रो. प्रीथपाल सिंह मटरेजा ने इथिक्स कमेटी के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया, इथिक्स कमेटी इंसानों पर होने वाले शोध कार्यों की समीक्षा करती है। यह कमेटी निर्धारित करती है कि कौन-सा शोध पेशेंट या इंसान पर किया जा सकता है? क्या इस शोध में पेशेंट को कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है? प्रो. मटरेजा चितकारा यूनिवर्सिटी, पटियाला (पंजाब) में गुड क्लीनिकल प्रैक्टिस पर आयोजित वर्कशॉप में बोल रहे थे। इस मौके पर सवाल-जवाब का दौर भी चला। वर्कशॉप में चितकारा यूनिवर्सिटी के फार्मेसी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गुरजीत सिंह, डॉ. रविन्द्र सिंह के साथ-साथ करीब 40 फैकल्टीज़ और फार्मेसी के 150 स्टुडेंट्स मौजूद रहे। दूसरी ओर आदेश मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, अंबाला में आयोजित वर्कशॉप में गैजेट नोटिफिकेशन- न्यू ड्रग क्लीनिकल ट्रायल और इंटरनेशनल कम्यूनिटी ऑन हार्मोंनाइजेशन गुड क्लीनिकल प्रैक्टिस- आईसीएचजीसीपी गाइड लाइन पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इन दोनों कार्यशालाओं में प्रो. मटरेजा को प्रशस्ति पत्र भी दिए गए।
वर्कशॉप मे प्रो. सिंह ने स्टुडेंट्स को समझाया कि इथिक्स कमेटी के कौन-कौन से कार्य होते हैं? इस कमेटी में कौन-कौन लोग शामिल होते हैं? यह कमेटी अपने काम को कैसे अंजाम देती है? एक शोधकर्ता को शोध करने से पहले कौन-कौन से दस्तावेज कमेटी को सौंपने होते है? शोधकर्ता के दस्तावेजों के आधार पर ही कमेटी आगे की प्रक्रिया को देखती है। शोधकर्ता को कमेटी के समक्ष कैसेट, प्रोटोकॉल, एप्रूवल, एडवर्टीजमेंट आदि दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं। आदेश मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, अंबाला में आयोजित वर्कशॉप में प्रो. मटरेजा ने नई ड्रग का अप्रूवल कैसे कराते हैं? इसका प्रोसेस क्या है? कम्पनी की क्या भूमिका होती है? फर्मासिस्ट का क्या रोल होता है? आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। आईसीएचजीसीपी गाइड लाइन पर बोलते हुए प्रो. सिंह ने दुनिया में रिसर्च को लेकर फॉलो होने वाले जरूरी नियमों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च- आईसीएमआर ने भी 2017 में अपनी एक अलग गाइडलाइन जारी की है, जिसका मेडिकल रिसर्च में पालन करना अनिवार्य होता है। इस मौके पर हिमाचल, पंजाब और हरियाणा की विभिन्न कॉलेजों एंड यूनिवर्सिटीज के करीब 40 फैकल्टीज़ और एमबीबीएस के करीब 100 से अधिक स्टुडेंट्स ने प्रतिभाग किया।