उत्तराखंड

मंत्रोचारण के साथ उत्तराखंड लोक विरासत उत्सव का हुआ आगाज…

देहरादून: चौथे उत्तराखंड लोक विरासत उत्सव का शुभारंभ दीपप्रज्वल मंत्रोचारण व पारंपरिक वाद्ययंत्रों की मंगल ध्वनि के साथ प्रारंभ हुआ। श्री पांच मंदिर गंगोत्री समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने अपनी पूरी कार्यकारणी के साथ आयोजकों को गंगाजली के साथ साथ मां गंगा की चुनरी भेंट कर कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद प्रदान किया।

सोशल बलूनी स्कूल में दो दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में उत्तराखण्ड के विभिन्न रंगों का प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गढ़ रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी, पद्म श्री प्रीतम भरतवाण, विधायक बृजभूषण गैरोला, विनोद चमोली, सुनील गामा आदि मौजूद रहे।

चार धाम हॉस्पिटल और उत्तराखंड लोक विरासत के संस्थापक डॉ के पी जोशी ने इस आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा के उत्तराखंड की समृद्ध लोक विरासत के विराट रूप का साक्षात्कार नई पीढ़ी को कराने के साथ साथ पुरानी कला और पुराने कलाकारों का सम्मान व नए कलाकारों को मंच प्रदान करना है तथा दूरदराज के लोगों को मुफ़्त व सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाना है। लोक विरासत को ट्रस्ट बना दिया गया, जिससे दान दाता को टैक्स में भी लाभ मिल सके।

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कवयित्री वीना वेंजवाल ने सर्वप्रथम ढोल दामाऊं मस्कबीन के फनकारों को प्रेम दास,प्रेम ग्रुप, अनुरागी ब्रदर्स आदि को आमंत्रित किया और उसके बाद महासू की संगत नानऊ चंद के साथ एक के बाद एक सांस्कृतिक फूलों की माला पिरोती गई।

कोक म्यूजिक में धूम मचाने वाली लोक गायिका कमला देवी ने अपनी खनकदार आवाज़ में लोकगीतों की रागनी से पूरा पांडाल महका दिया। पद्म श्री प्रीतम भरतवाण ने ढोल सागर का वादन कर नई पीढ़ी को ढोल का महत्व बताया ।

दूसरे सत्र का शुभारंभ शब्दों के माहिर गणेश कुकसाल “गणी” ने जब एक एक कर गढ़वाल कुमाऊं के युवक युवतियां को मंच पर बुलाना शुरू किया तो लगा चित्रकार अपनी कूची से रंग बिखेर रहा है।

ऊषा नेगी नंदकिशोर हटवाल उमाकांत वेंजवाल और उनकी टीम ने नए अंदाज़ में उत्तराखंड की वेषभूषा व आभूषणों की जो छटा बिखेरी वो अद्वितीय रही ,नेगी नंदकिशोर हटवाल वेंजवाल और उनकी टीम ने नए अंदाज़ में उत्तराखंड की वेषभूषा व आभूषणों की जो छटा बिखेरी वो अद्वितीय रही उसके बाद बही गीतों की गंगा जिसमें।

वेशभूषा के कलाकारों को जोड़ने में कला दर्पण के सुरक्षा रावत , गायत्री रावत आदि ने अपना सहयोग दिया । संस्कृति के साथ साथ यहां पर उत्तराखंड के पकवानों के स्टॉल पर भीड़ से मालूम हो रहा है कि लोगों को अपनी रसाण खूब भा रही है। विभिन्न उत्तराखंडी आभूषणों हस्तशिल्प और उत्तराखंड के साहित्य के स्टाल भी आकर्षण के केंद्र रहे । उत्तरकाशी के चितेरे मुकुल बडोनी डॉ नौटियाल की कलादिर्घा लोगों का आकर्षण केंद्र रही ।

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