वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के विचार को आज सबसे ज्यादा ज़रूरी है – जन संगठन, राजनेता

आज से ठीक 94 साल पहले पेशावर विद्रोह के दौरान वीर चंद्र सिंह गढ़वाली अंग्रेज़ों के सांप्रदायिक षड्यंत्र पर प्रभावित न हो कर निहत्ये आंदोलनरत पठानों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया था, जिसकी वजह से उनको 14 साल जेल में रहना पड़ा। वैसे ही आज भी वही कोशिश की जा रही है कि सांप्रदायिक झूठे प्रचार द्वारा लोगों के अंदर डर और नफरत को पैदा कर राज करे। इसलिए आज भी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के विचारों से सीख कर लोकतंत्र और इंसानियत के हित में आवाज़ उठाने की ज़रूरत है।
उत्तराखंड के विभिन्न जन संगठनों द्वारा आज आयोजित जन सभाओं में ऐसे ही बातें सामने आये। देहरादून, पौड़ी, रामनगर, सल्ट, उधम सिंह नगर और राज्य के अन्य क्षेत्रों में “नफरत नहीं, रोज़गार दो” के नारा के साथ वीर चंद्र सिंह गढ़वाली और पेशावर विद्रोह की याद में संगोष्ठियां एवं सभाएं आयोजित की गयी थी।
देहरादून के अग्रवाल धर्मशाला में आयोजित संगोष्ठी में अखिल भारतीय किसान सभा के गंगाधर नौटियाल एवं सुरेंद्र सिंह सजवाण; कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता एवं इंडिया गठबंधन के राज्य संयोजक शीशपाल सिंह बिष्ट; सर्वोदय मंडल के हरबीर सिंह कुशवाहा और विजय शंकर शुक्ला ; चेतना आंदोलन के विनोद बडोनी, शंकर गोपाल और राजेंद्र शाह; जनवादी महिला समिति की उमा नौटियाल; CITU के राज्य सचिव लेखराज; वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी; स्वतंत्र पत्रकार स्वाति नेगी; और अन्य लोग शामिल हुए। आगे नफरत के खिलाफ और संविधान के मूल्यों के हित में और आंदोलन और कार्यक्रम करने का निर्णय भी लिया गया।