उत्तराखंड

सुपरिचित सामाजिक इतिहासकार व लेखक प्रो. शेखर पाठक इस विषय पर देंगे महत्वपूर्ण व्याख्यान

सुपरिचित सामाजिक इतिहासकार व लेखक प्रो. शेखर पाठक “उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय संग्राम की झलक” विषय पर एक महत्वपूर्ण व्याख्यान देहरादून में शुक्रवार, 3 नवंबर,23 को देंगे। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आयोजित व्याख्यान का यह कार्यक्रम अपराह्न 4: 00 बजे पुस्तकालय के सभागार में होगा।

प्रोफे.पाठक अपने व्याख्यान में उत्तराखंड के स्थानीय आन्दोलन राष्ट्रीय संग्राम से किस तरह जुड़ने के आधार बने तथा राष्ट्रीय संग्राम की विभिन्न अभिव्यक्तियों ; 1857 की क्रांति, पेशावरकांड तथा आजाद हिन्द फौज में हिस्सेदारी के क्या अर्थ रहे और उत्तराखण्ड से बाहर यहां के कार्यकर्ताओं नेताओं के योगदान की भूमिका पर प्रकाश डालने का प्रयास करेंगे। इस व्याख्यान में उत्तराखंड के अनेक संग्राम नायकों व स्वाधीनता संग्राम में तत्कालीन अनेक समाचार पत्रों के योगदान पर भी बात होगी।

उत्तराखंड जैसे इस छोटे से इलाके ने कैसे बड़ी हिस्सेदारी राष्ट्रीय संग्राम में की और इसकी विकास यात्रा का मिजाज कैसा रहा इस पक्ष पर भी प्रोफे. शेखर पाठक अपनी बात रखेंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रोफे. पाठक ने 3 दशकों से अधिक समय तक कुमाऊं विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया है। वे भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला और नेहरू मेमोरियल संग्रहालय एवं पुस्तकालय, नई दिल्ली के फेलो रह चुके हैं।

उन्होंने हिमालय के इतिहास, संस्कृति, लोक कथा और हिमालयी अन्वेषण के विभिन्न पहलुओं पर काम किया है। कुली बेगार प्रणाली, वन आंदोलन, उत्तराखंड की भाषाएं, हिमालयी इतिहास और खोजकर्ता नैन सिंह रावत की निश्चित जीवनी पर उनके काम प्रसिद्ध हैं। वह अस्कोट आराकोट अभियान, अन्य हिमालयी अध्ययन यात्राओं से जुड़े हुए हैं। वर्तमान में नैनीताल से प्रसिद्ध ‘पहाड़’ पत्रिका का संपादन करते हैं। प्रोफे.शेखर पाठक 2006 में पद्मश्री और 2007 में राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। उन्हें वर्ष 2022 में ‘द चिपको मूवमेंट: ए पीपल्स हिस्ट्री’ पुस्तक के लिए कमला देवी चट्टोपाध्याय पुरस्कार मिल चुका है।

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