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देहरादून के नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों को यातनाएं देने के साथ उनसे कुत्तों का मल भी साफ करवाया जाता था। मना करने पर मारपीट की जाती थी। सिद्धू ने भी सोमवार रात को यातनाओं से परेशान होकर घर जाने की जिद की थी। इसके बाद स्टाफ ने उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। बेहोश होने तक उसे पीटा गया। इसके बाद उसके ऊपर कंबल डाल दिया। सुबह देखा तो सिद्धू की मौत हो चुकी थी। नशा मुक्ति केंद्र में सिद्धू ने जब घर जाने की जिद की तो स्टाफ ने उसके हाथ-पैर बांध दिए। उसे खाना भी नहीं दिया। मरीजों ने बताया कि सिद्धू जोर-जोर से चिल्ला रहा था। उसे तीन लोग डंडे और फट्टे से मार रहे थे। लेकिन, निर्दयी लोगों को उस पर तरस नहीं आया। पुलिस पूछताछ में वहां मौजूद मरीजों ने एक-एक कर नशा मुक्ति केंद्र की करतूतों का खुलासा किया। बता दें कि कि टर्नर रोड निवासी 22 वर्षीय सिद्धू की चंद्रबनी स्थित न्यू आराध्या नशा मुक्ति केंद्र में हत्या कर दी गई थी। वहां का स्टाफ सिद्धू के शव को उसके घर के दरवाजे पर फेंककर भाग गया था। परिजनों ने आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हंगामा किया और करीब दो घंटे टर्नर रोड जाम कर दी। इसके बाद सिद्धू के भाई की तहरीर पर नशा मुक्ति केंद्र संचालक प्रशांत जुयाल समेत चार के खिलाफ हत्या, साक्ष्य छुपाने, एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। मुकदमे की विवेचना सीओ सदर पंकज गैरोला को सौंपी गई है। एसपी सिटी सरिता डोबाल ने बताया कि जांच के दौरान पहले नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती सभी मरीजों के बयान दर्ज किए जाएंगे। इसके बाद ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जा सकती है। डॉक्टरों के पैनल ने उसका पोस्टमार्टम किया था। पोस्टमार्टम में उसके शरीर पर चोट के 10 से ज्यादा निशान आए हैं। लेकिन मौत का कारण स्प्ष्ट नहीं हुआ। बता दें कि यहां मरीजों को जिन कमरों में रखा जाता है उन पर बड़े-बड़े ताले लटके हुए हैं। यहां खतरनाक किस्म के चार कुत्तों का पहरा भी बैठाया गया है। अंदर लोगों को भ्रमित करने के लिए बहुत से सर्टिफिकेट और स्टांप पेपर भी दीवार पर लगाए गए हैं।