उत्तराखंड

जल जंगल जमीन हमारी, नहीं सहेंगे धौंस तुम्हारी

उत्तराखंड में मूल निवास का सवाल इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में है। समूचे पर्वतीय क्षेत्र में हो रही जमीनों की खुली लूट से यहां का जनमानस उद्वेलित है। यह अचानक उपजी घटना नहीं है, बल्कि यह राज्य गठन के बाद पिछले 24 सालों में यहां सत्ता में आसीन सरकारों के संरक्षण में पूंजीपतियों द्वारा की जा रही प्राकृतिक संसाधनों की लूट का नतीजा है। पिछले विधानसभा चुनावों से पूर्व भू कानून का मुद्दा तेजी से उठने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा अगस्त 2021 में इस बाबत एक कमेटी का गठन कर दिया गया। कमेटी ने सितंबर 2022 में अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी, जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

इस बीच उत्तराखंड में एक बार पुनः कठोर भू कानून बनाए जाने की मांग तेज हो गई है, लेकिन यह मांग मात्र जमीनों की खरीद फरोख्त पर रोक लगाने तक सीमित दिखाई दे रही है। उत्तराखंड में भूमि के सवाल को समग्रता के साथ व्यापक परिपेक्ष्य में देखे जाने की जरूरत है। हमारा मानना है कि उत्तराखंड में व्यापक भूमि सुधार किए बिना इस समस्या का हल नहीं खोजा जा सकता है। इसके लिए भूमिहीनों को भूमि वितरण, बेनाप एवं वन भूमि, बंदोबस्ती, चकबंदी, बांध, सौर ऊर्जा तथा विकास परियोजनाओं के नाम पर ली जा रही किसानों की जमीनों के सवालों को भी समझना जरूरी है। *प्रभावशाली लोगों द्वारा भूमि एवं वन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए यहां बड़े पैमाने पर गैरकानूनी तरीके से नाप/ बिना आप जमीनों पर कब्जा किया गया है*। भू कानून में इसका हल खोजने के साथ ही मौजूद तमाम चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तराखंड में भू परिदृश्य एवं सशक्त भू कानून पर गहन विमर्श एवं साझी समझ के नितांत आवश्यकता है।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी राज्य स्थापना के बाद से ही उत्तराखंड में प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ लगातार संघर्षरत रही है। इसी क्रम में उसके द्वारा सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर एक *संगोष्ठी दिनांक 7 जनवरी 2024 बुधवार को प्रातः 11:00 बजे से शिखर होटल की सभागार में आयोजित की जा रही है*। आप सभी उक्त संगोष्ठी में शिखर सभागार में साथियों के साथ दिनांक 7 जनवरी 2024 प्रातः 11:00 बजे सक्रिय भागीदारी करने की कृपा करें।

संघर्षशील अभिवादन के साथ पीसी तिवारी केंद्रीय अध्यक्ष उपपा, राजेंद्र सिंह रावत सालम समिति, ईश्वर जोशी उत्तराखंड संसाधन पंचायत, विनोद बिष्ट भूमि बचाओ संघर्ष समिति फलसीमा अल्मोड़ा, भावना पांडे उत्तराखंड छात्र संगठन, राजेंद्र सिंह राणा नैनीसार बचाओ संघर्ष समिति एवं अन्य सहयोगी संगठन।

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