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ऋषिकेश से केदारनाथ जाने का मिला पौराणिक रास्ता , स्वामी विवेकानंद ने भी की पदयात्रा

अब यात्री ऋषिकेश से केदारनाथ तक के पौराणिक मार्ग पर ट्रैकिंग कर सकेंगे। डीएम पौड़ी डाॅ. आशीष चौहान ने इस पौराणिक मार्ग के मूल स्वरूप को फिर से जीवित करने की पहल की है। उन्होंने गंगा पदयात्रा शुरू किए जाने की योजना तैयार की है। उन्होंने खुद इस मार्ग पर 22 किमी की पदयात्रा भी की। डीएम ने बताया कि इस मार्ग पर प्रकृति और अध्यात्म का अनूठा संगम होगा यात्री मां गंगा के किनारे-किनारे प्रकृति की विविधता के एहसास को आत्मसात करते हुए यात्रा का लुत्फ उठा सकेंगे। इससे रोजगार व स्वरोजगार के नए अवसर विकसित होंगे। इस योजना के अनुसार ऋषिकेश से देवप्रयाग तक पैदल चारधाम यात्रा इसी साल शुरू होगी। गंगा पदयात्रा का आगाज साधु-संतों के पहले जत्थे के निकलने के साथ होगा जो इसी साल चारधाम यात्रा में जाएगा।

दो बार स्वामी विवेकानंद ने इसी रूट से की थी पदयात्रा

1888 में बदरीनाथ के लिए यात्रा शुरू की लेकिन, हैजा फैलने के कारण उन्हें श्रीनगर से यात्रा बीच में ही छोड़कर लौटना पड़ा था। 1891 में फिर आए लेकिन इस बार वे स्वयं बीमार पड़ गए और कर्णप्रयाग से लौटे

कोटलीभेल का होगा विकास

गंगा पदयात्रा पथ पर कोटलीभेल में करीब 200 मीटर का ट्रैक चट्टान पर है, जिसे गरतांग गली की तर्ज पर लकड़ी का पैदल मार्ग तैयार कर नए स्वरूप में विकसित किया जाएगा।
यह है यात्रा रूट
गंगा पदयात्रा ऋषिकेश से लक्ष्मणझूला, गरुड़ चट्टी, फूल चट्टी, मोहन चट्टी, बिजनी, नौंठखाल (न्योडखाल), बंदर चट्टी (बांदर भ्येल), महादेव चट्टी, सिमालू (सेमल), नांद गांव, व्यासचट्टी (व्यासघाट), उमरासू, सौड़ व रामकुंड से देवप्रयाग पहुंचेगी। यहां यात्री गंगा आरती में शामिल होंगे।

-67.6 किमी पैदल दूरी होगी ऋषिकेश से देवप्रयाग ट्रैक

-06 फीट चौड़ा होगा गंगा पदयात्रा का पथ

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