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श्री वीरेंद्र पैन्यूली: विश्वविद्यालय आंदोलन के लिए आईआईटी से अध्यापन छोड़ दिया था

गडोलिया गांव से एक रोड़ पौखाल श्रीनगर को जाती है दूसरी रोड़ घनसाली भिलंगना को प्रवेश करती है। ब्लॉक जाखणीधार है जिला टिहरी गढ़वाल ! यहाँ शिव प्रसाद पैन्यूली के घर में वीरेंद्र पैन्यूली ने 1947 में जन्म लिया। पिता इतने रईस थे, टीजीएमओ की पहली बस ऋषिकेश से टिहरी और पहाड़ की ऊँचाईयों में उन्हीं के सौजन्य से चलने का रिकॉर्ड में दर्ज है!शिव जी ने बेटे को उस जमाने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी पढ़ाई के लिए भेजा था।

वीरेंद्र पैन्यूली एक ऐसा नाम है जो गढ़वाल विश्विद्यालय आंदोलनों के इतिहास में महत्व रखता है। उन्होंने 10 वर्षों तक रूड़की इंजीनियरिंग कॉलेज (अब आईआईटी) में पढ़ाया, इस दौरान उन्होंने गढ़वाल क्षेत्र के लोगों के कल्याण और विकास में गहरी रुचि विकसित की। इस दौरान वह महान संत स्वामी मनमंथन और मंजूर अहमद बेग, अवध बिहारी पंत के संपर्क में आए, जिन्होंने अंततः क्षेत्र के भविष्य के प्रयासों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्वामी मनमंथन और मंजूर अहमद बेग , अवध बिहारी पंत ने वीरेंद्र पैन्यूली को अपनी शिक्षण नौकरी से इस्तीफा देने और उत्तराखंड में विश्वविद्यालय आंदोलन में शामिल होने के लिए राजी किया। इससे क्षेत्र के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी की शुरुआत हुई। उनके समर्पण और अथक प्रयासों के कारण एक अलग गढ़वाल विश्वविद्यालय के लिए आंदोलन शुरू हुआ, जो अंततः वास्तविकता बन गया।

स्वामी मनमंथन की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या के बाद, वीरेंद्र पैन्यूली ने भुवनेश्वरी महिला आश्रम में पांच साल बिताए, जहां उन्होंने सचिव के रूप में कार्य किया। इस दौरान, वह गांव में पंचायती राज के विद्वतापूर्ण गतिविधियों में लगे रहे और गांववासियों के लिए आश्रम से विकास योजनाओं को चलाते रहे।

वीरेंद्र पैन्यूली आज भी एक पढ़े लिखे वर्ग में प्रभावशाली शख्सियत बने हुए हैं। वह देश भर के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में प्रकाशित लेखों और स्तंभों के साथ, अपने लेखन के माध्यम से चर्चा में योगदान देना जारी रखते हैं। विचारों को व्यक्त करने और प्रसारित करने की उनकी क्षमता ने सार्वजनिक क्षेत्र में एक सम्मानित आवाज़ के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया है।

एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय ने 1 दिसम्बर 2023 को .अपनी 50 साल की यात्रा पूरी कर ली है। जिन जीवित पांच लोगों को विश्वविद्यालय ने सम्मानित किया है उनमें वीरेंद्र कुमार पैन्यूली का भी एक नाम है। पैन्यूली जी के दोस्त मंजूर अहमद बेग बताते हैं एक दिन दिल्ली में श्री मुलायम सिंह यादव पैन्यूली के लिए काफी देर तक इंतज़ार करते रहे। उनके वह दोस्त थे। पैन्यूली चौधरी चरण सिंह की पार्टी में संयुक्त महामंत्री थे। गढ़वाल यूनिवर्सिटी आंदोलन जीतने के बाद पैन्यूली जी का पड़ाव चरण सिंह जी की पार्टी रही। पूर्व पेट्रोलियम मंत्री श्री बह्म दत्त, चरण सिंह के पीएस थे। चौ. अजित सिंह, पैन्यूली के टेलेंट की क़द्र करते थे। (गढ़वाल विश्वविद्यालय स्थापना पर सीरीज जारी …. )!

शीशपाल गुसाईं

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