प्रयागराज। असाधारण लोगों को एक किताब में सहेजना बहुत ही महत्वपूर्ण काम है। इससे अपने शहर और समाज को समझा और परखा जा सकता है। यह काम इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने अपनी किताब ‘21वीं सदी के इलाहाबादी, भाग-2’ में कर दिखाया है। किताब में प्रयागराज के बहुत विशिष्ट 126 लोगों को शामिल करके बहुत अच्छा काम किया गया है। यह बात रविवार को गुफ़्तगू की ओर करैलाबाग स्थित बेनहर स्कूल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ख़ान ने कही। कार्यक्रम के दौरान जहां ‘21वीं सदी के इलाहाबादी’ किताब का विमोचन किया गया, वहीं इसमें शामिल सभी लोगों को सम्मानित भी किया गया।
अपने वक्तव्य में महामहिम राज्यपाल ने कहा कि यह शहर आदिकाल से ही बहुत महत्वपूर्ण है। स्वतंत्रता आंदोलन में भी इसका ख़ास योगदान रहा है। आंदोलनकारियों का प्रमुख केंद्र रहा है इलाहाबाद। उन्होंने कहा कि आमतौर पर जो लोग असाधारण कार्य करते हैं, उन्हें खोजकर भारत सरकार पद्म पुरस्कार से नवाजती है। मगर, प्रयागराज के इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने व्यक्तिगत तौर पर असाधारण व्यक्तियों को खोजकर किताब में शामिल कर लिया है। यह कार्य हमेशा याद रखा जाएगा। श्री आरिफ मोहम्मद खा़न ने कहा कि भारत की संस्कृति प्राचीन है, यहां के लोग हमेशा से अपनी संस्कृति से जुड़े रहे हैं, जबकि यूनान और मिस्र जैसे देश के लोगों ने अपनी संस्कृति को भुला दिया है। अपनी संस्कृति को भूलना या छोड़ना उचित नहीं होता। इस किताब में जिन लोगों को सहेज दिया गया है, उनके जरिए एक तरह से संस्कृति को भी सहेजने का काम किया गया है।
किताब के लेखक इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा कि मेरी हमेशा से कोशिश रही है अपने शहर के असाधारण लोगों को उनके काम के आधार पर किताब में शामिल किया जाए। मैंने मार्च 2023 से इस किताब पर काम शुरू किया था, जो अब जाकर पूरा हुआ। लोगों की जानकारी एकत्र करने के बाद एक-एक आदमी से मिलना एक कठिन काम है। भाग-1 और भाग-2 के बाद अगर आवश्यकता हुई तो भाग-3 पर भी काम किया जाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार प्रताप सोमवंशी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण कार्य है। इलाहाबाद समृद्ध लोगों का शहर रहा है, यहां पद्मश्री डॉ. राज बवेजा जैसी लोग भी मौजूद हैं। डॉ. राजीव सिंह ने इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी और टीम गुफ्तगू के इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्य होेते रहना चाहिए। अतहर ज़िया ने अपने वक्तव्य में इलाहाबाद के विरासत का जिक्र किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री डॉ. राज बवेजा और संचालन शैलेंद्र जय ने किया।
नरेश कुमार महरानी, प्रभाशंकर शर्मा, डॉ. वीरेंद्र तिवारी, अर्चना जायसवाल, नीना मोहन श्रीवास्तव, उत्कर्ष मालवीय, अनिल मानव, शिवाजी यादव, धीरेंद्र सिंह नागा, कमल किशोर, दयाशंकर प्रसाद, असफर जमाल, हकीम रेशादुल इस्लाम आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।