उत्तराखंड

एम्स, ऋषिकेश में रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने विषयक ऐतिहासिक सीएमई का आयोजन

ऋषिकेश: एम्स, ऋषिकेश के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के तत्वावधान में रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने विषयक ऐतिहासिक सीएमई का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के साथ साथ विदेशी चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी शिरकत की।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश की ओर से फ्रांसीसी दूतावास, भारत और इंस्टीट्यूट फ्रांसेइस इंडिया के वैज्ञानिक सहयोग से आयोजित “माइक्रोब मैवरिक्स – रोगाणुरोधी प्रतिरोध के युग में कार्रवाई योग्य निदान” शीर्षक से एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम का संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने विधिवत शुभारंभ किया।

कार्यक्रम में डीन अकादमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्य श्री और माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. योगेंद्र प्रताप मथुरिया ने विशेषरूप से प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो. मीनू सिंह ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने के लिए नवीनतम नैदानिक तकनीकों और रणनीतियों के साथ अपडेट रहने के महत्व पर जोर दिया।

डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने विभाग को इस आयोजन के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि ऐसे आयोजनों को जनहित में निरंतर आयोजित करते रहना चाहिए।
आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. योगेंद्र प्रताप मथुरिया ने कहा कि “सीएमई ने स्वास्थ्य पेशेवरों को विशेषज्ञों के साथ जुड़ने और डायग्नोस्टिक माइक्रोबायोलॉजी और एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान किया है।”

सीएमई की आयोजन सचिव डॉ. वन्या सिंह ने आयोजन समिति की ओर से सभी प्रतिभागियों और प्रतिनिधियों को इस विशेष तरह के आयोजन में सक्रिय भागीदारी के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। दिया।

उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य डायग्नोस्टिक माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में नवीनतम प्रगति पर स्वास्थ्य पेशेवरों को अपडेट करना था, जिसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध का मुकाबला करना, सेप्सिस जैसे जानलेवा संक्रमणों का जल्दी पता लगाना और एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप पर ध्यान केंद्रित करना था।

कार्यक्रम में डायग्नोस्टिक माइक्रोबायोलॉजी, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध और एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप से संबंधित विषयों पर इंटरैक्टिव सत्र, पैनल चर्चा और केस-आधारित प्रस्तुतियां शामिल रहीं।

सीएमई में जुटे देश-विदेश के चिकित्सा विज्ञानियों ने इस आयोजन के लिए एम्स माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रशंसा की तथा कहा कि संस्थान ने आयोजन में शामिल कर प्रतिभागियों को सार्थक चर्चा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

लिंकिंग डायग्नोस्टिक एंड एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप विषय पर आयोजित पैनल चर्चा में विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया, इस अवसर पर एम्स की चि​कित्सा अधीक्षक प्रोफेसर बी. सत्य श्री ने कहा कि हमें अस्पताल में मरीजों को कुशल चिकित्सा देने के लिए कम संसाधनों में भी बेहतर परिणाम देने के लिए सतत व सामुहिक प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एंटी मायाक्रोबियल रेजिस्टेंस की रोकथाम करने के लिए क्लिनिशियन व माइक्रो बायोलॉजिस्ट को मिलकर कार्य करना होगा।

पैनल चर्चा में डॉ. गौरव जैन, डॉ. बलराम जी ओमर, डॉ. वाईपी मथुरिया, डॉ. दीपक सिंघला एवं डॉ. शेखर पाल मौजूद थे। इस अवसर पर विभाग के प्रोफेसर बलरामजी ओमर, डॉ. अम्बर प्रसाद, डॉ. सुकृति यादव, डॉ. पी.वी. सौजन्या के अलावा विभिन्न चिकित्सा संस्थानों से आए डॉ. शलभ जौहरी, डॉ. सुलेखा नौटियाल, डॉ. बरनाली ककाती आदि मौजूद रहे।

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