उत्तराखंड

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर देहरादून में आयोजित हुई राज्य स्तरीय कार्यशाला

देहरादून: ‘‘विश्व बाल श्रम निषेध दिवस’’ के अवसर पर आज 12 जून को उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा होटल सैफरॉन लीफ, जीएमएस रोड, देहरादून में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य बाल श्रम की बढ़ती समस्या के प्रति जनजागरूकता लाना और इससे जुड़े कानूनी व सामाजिक उपायों की समीक्षा करना रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ मा0 अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। जिसके उपरान्त कार्यशाला में उपस्थित माननीय अतिथियों का परिचय करते हुए शॉल व पौधा भेंट कर स्वागत किया गया।

उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सचिव डॉ शिव कुमार बरनवाल द्वारा बाल श्रम निषेध दिवस की पृष्ठभूमि व उद्देश्य पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में उपस्थित व्यापार मण्डल के पदाधिकारीगण, डी0पी0ओ0, श्रम विभाग और गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया गया। विश्व बाल श्रम दिवस के अवसर पर अवगत कराया गया कि राज्य में हुई जनगणना से संज्ञान में आया है कि पूर्व से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल श्रम में कमी आई है। जिला टास्क फोर्स द्वारा किए गए सक्रिय प्रयासों की सराहना की गई। साथ ही निरंतर जांच, बाल तस्करी, धर्मांतरण पर कार्यवाही हेतु कहा गया। उन्होंने बताया कि कैसे यह दिवस हमें बच्चों के अधिकारों की रक्षा हेतु निरंतर प्रयासरत रहने की प्रेरणा देता है।

इसके पश्चात आयोग की माननीय अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना द्वारा कार्यशाला को संबोधित किया गया। कार्यशाला में उपस्थित व्यापार मण्डल, फिक्की फलों, सीआईआई व उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। अवगत कराया गया कि बच्चों के मध्य किसी भी तरह का भेदभाव किए बिना उनके साथ एकरूप व्यवहार किया जाना चाहिए। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ) की जानकारी दी। जिला टास्क फोर्स के कार्यप्रणाली, अभिभावकों व समाज, उद्योगपतियों को बाल श्रम मुक्त भारत बनाये जाने पर जोर दिया। भारतीय विधि में चाइल्ड एण्ड एडोलिसेंट एक्ट, 2016, जुवेनाईल जस्टिस, 2015, भारतीय न्याय संहिता, 2025, बोंडेड लेबर एबोलिशन एक्ट, 1976, आर0टी0ई0 एक्ट, 2009 से अवगत कराया तथा बच्चों को शिक्षा से जोड़ने, उनकी सुरक्षा का वातावरण प्रदान करने, बालिकाओं पर शिक्षा के साथ साथ स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करने, बच्चों को अवसाद से मुक्त करने, उन्हें फर्श से अर्स की ओर अग्रसर करने, मिलकर कार्य करने, हाथ के हुनर सिखाने, बौद्धिक ज्ञान आदि पर जोर दिया। बच्चों का बौद्धिक विकास न हो पाने के कारण उनका नशे की तरफ अग्रसर होना, जुआं व अन्य कुरीतियों की तरफ बढ़ना, बाल तस्करी बढना आदि की बारे में बताया, जिसके लिए समाज, अभिभावकों व शिक्षकों को बच्चों से खुल के बात करने हेतु कहा गया।

मा0 अध्यक्ष द्वारा बाल श्रम जैसी कुरीति को जड से खत्म करने पर सामने आ रही समस्या से अवगत कराया गया, जिसमें गरीबी, अज्ञानता, मिश्रित इकोनॉमी, बाल तस्करी, घरेलू कार्य, पर्यटन, मौसम के अनुसार प्रवासन को सम्मुख रखा। उन्होंने बाल श्रम की समस्या पर आयोग द्वारा अब तक किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए भविष्य की दिशा में रणनीति प्रस्तुत की। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे नीति निर्माण, जमीनी निगरानी, और संस्थागत समन्वय द्वारा उत्तराखंड ने इस दिशा में प्रगति की है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों एवं मुख्य अतिथि द्वारा भी संबोधन किया गया, जिसमें बच्चों को सुरक्षित, संरक्षित एवं शिक्षा की ओर अग्रसर करने की प्रतिबद्धता दोहराई गई।

कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में श्री अनिल पेटवाल, अपर श्रम आयुक्त, उत्तराखण्ड द्वारा बाल श्रम पर रोकथाम हेतु उठाये जा रहे कदम पर प्रस्तुतीकरण प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुतीकरण मेें बाल श्रम उन्मूलन हेतु राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों, कार्यवाही, प्रयासों, सम्मुख आ रही कमियों व भविष्य में किये जाने वाले कार्याे पर प्रकाश डाला। जिसमें उनके द्वारा बाल श्रम से ग्रसित बच्चों की मानसिक स्थिति को समझने, उनके बाल श्रम करने के पीछे के कारणों पर ध्यान आकर्षित करने को कहा। गरीबी के कारण बढ़ती बाल श्रम पर बच्चों को पुनर्वास की सुविधाओं पर कार्यवाही हेतु कहा गया। ऑपरेशन मुक्ति के अनुसार आंकड़ों से कार्यशाला को अवगत कराया गया। जिसमें पूर्व के आंकड़ों के अनुसार बाल श्रमिक बच्चों के आंकड़ों में आयी कमी को सराहनीय प्रयास से अवगत कराया। बाल श्रम से अधिक बच्चों के पुनर्वास पर जोर दिया। उनके द्वारा बताया गया कि श्रम विभाग आंकड़े बढ़ने से अधिक समाज में बढ़ रही कुरीति को पूर्ण रूप से खत्म करने पर प्रयास कर रहा है, जिसमे बाल श्रम से रेस्क्यू किए गए बच्चों को पुनर्वास के साथ साथ हाथ के हुनर में अग्रसर किये जाने के साथ ही सामाजिक परिवेश से जोड़ना, शिक्षा का ज्ञान दिया जाना, सबल बनाने का प्रयास करना उद्देश्य है। उनके द्वारा सभी जिलों में हर माह बैठक करते हुए बाल श्रम को रोकने हेतु कार्यवाही सुनिश्चित किए जाने तथा किसी भी विभाग से यदि समन्वय स्थापित करते हुए कार्यवाही करनी हो तो उसे भी सुनिश्चित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।

कार्यशाला में राज्य समन्वयक सुरेश उनियाल ने बचपन बचाओ आन्दोलन द्वारा बाल श्रम कुरीति को खत्म किये जाने हेतु सामने आ रही चुनौतियों से अवगत कराया गया तथा वर्तमान तक जमीनी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। कार्यशाला में ‘प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है, आइए प्रयास तेज करें’ विषय पर एक समूह चर्चा आयोजित की गई। जिसमें राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देशों पर विचार साझा किए गए।

मा0 अध्यक्ष महोदया की अध्यक्षता में समूह चर्चा की गई, जिसमें अपर श्रमायुक्त, उत्तराखण्ड, प्रशांत कुमार, सहायक श्रमायुक्त हरिद्वार धर्मराज, सहायक श्रमायुक्त देहरादून तथा राज्य समन्वयक श्री सुरेश उनियाल आदि बचपन बचाओ आन्दोलन सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में समाजसेवी संगठनों, श्रम विभाग देहरादून व हरिद्वार, पुलिस एएचटीयू, डालसा, बाल कल्याण समिति, चाईल्ड लाईन, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधिगण, उद्योगपति, होटल मालिक, ढाबा मालिक, प्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया।

कार्यक्रम का समापन आयोग के अनु सचिव डॉ. सतीष कुमार सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उनके द्वारा अवगत कराया गया कि यह कार्यशाला एक प्रेरणादायक मंच सिद्ध हुई, जिसमें विभिन्न विभागों, संगठनों, एवं समाज के प्रतिनिधियों ने बाल श्रम के विरुद्ध अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग इस दिशा में निरंतर प्रयासरत रहेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button