देहरादून। आखिर जिस बात के संकेत थे वही सब इन दिनों उत्तराखंड भाजपा में नजर आ रहा है। संगठन में मचे घमासान के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिल्ली तलब किया गया है तो चर्चाएं उठने लगी है कि क्या संगठन में कोई बड़ा बदलाव करने की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है? असल में यह सब सवाल यूं ही नहीं उठे हैं, बल्कि इसके पीछे वह पूरा प्रकरण है जो मतगणना के बाद भाजपा प्रत्याशियों द्वारा अपने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को लेकर उठाया गया था।
सीधे तौर पर कहे तो चर्चा है कि उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष को लेकर दिल्ली में मंत्रणा चल रही है और कोई बड़ा निर्णय पार्टी के द्वारा लिया जा सकता है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को भी पार्टी के राष्ट्र अध्यक्ष जे पी नड्डा ने रविवार को बुलाकर उनसे लम्बी मंत्रणा की थी। माना जा रहा है कि मतगणना के तुरंत बाद राज्य में बन रहे हालातों को रोकने के स्थिति पर उनसे चर्चा की गइ।
यह भी चर्चा है कि स्पष्ट बहुमत न मिलने पर डा0 निशंक को निर्दलिय एवं छेत्रीय दलों से जीतकर आने वाले विधायकों से संपर्क साधने में लगाया जा सकता है डा0 निशंक का इन पर प्रभाव माना जा रहा है।
उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अबकी बार 60 पार का नारा प्रदेश को दिया था लेकिन पार्टी के अंदर किस प्रकार का घमासान चल रहा था यह तब बाहर आया जब मतदान संपन्न हो गया।
मतदान के बाद भाजपा के कुछ प्रत्याशियों ने प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर ही उन्हें हराने के लिए फील्डिंग सेट करने के आरोप लगा दिए तो वही भितरघात शब्द भाजपा की किरकिरी बन गया। उत्तराखंड भाजपा में उठे इस बवाल के बाद दिल्ली हाईकमान द्वारा मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष दोनों को ही दिल्ली बुलाया गया और स्थितियों पर नियंत्रण करने के लिए कहा गया
वहीं दूसरी ओर इसके बावजूद भी हालात नहीं सुधरे और प्रदेश के अंदर हवा में उड़ने लगी कि कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति में है तो केंद्रीय भाजपा संगठन के भी कान खड़े हो गए। अजीब स्थिति थी कि एक तरफ तो 60 सीटों से अधिक जीत का दावा किया जा रहा था तो वहीं दूसरी तरफ पूरे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने की अटकले लगाई जा रही थे।
इस सब के बीच अब तक हाईकमान को भी यह समझ में अब तक आ चुका था कि अंदरखाने उत्तराखंड प्रदेश भाजपा की हालत अच्छी नहीं है और कहीं ना कहीं आरोप लगे हैं तो इन पर नियंत्रण करना भी जरूरी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिल्ली बुलाने के पीछे फिलहाल सबसे बड़ा कारण उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष का मुद्दा ही माना जा रहा है। वर्ष 2023 में भाजपा प्रदेश संगठन के चुनाव होने हैं जिसमें नए प्रदेशाध्यक्ष का भी फैसला लिया जाएगा लेकिन यदि इससे पूर्व भी इस संबंध में कोई बड़ा निर्णय केंद्र हाईकमान से आता है तो निश्चित तौर पर इससे भाजपा की छवि पर भी असर पड़ेगा।
यदि भारतीय जनता पार्टी इन चुनावों में सरकार बनाने से चूकती है तो निश्चित तौर पर इसकी गाज प्रदेश संगठन पर भितरघात जैसे आरोपों के कारण ही गिरेगी। फिर अब तो नजर 10 मार्च पर है जब परिणाम सामने आएंगे लेकिन यह भी निश्चित माना जा रहा है कि उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर उठ रहा विवाद एवं असंतोष पार्टी हाईकमान की प्राथमिकताओं में है और इसे लेकर कोई विस्फोटक फैसला जल्दी सामने आ सकता है।
भाजपा में चल रहे घमासान को लेकर रमेश पोखरियाल निशंक को संकटमोचक माना जा रहा है यही वजह है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें किसी खास मिशन पर लगा दिया है। उनसे क्षेत्रीय दलों व निर्दलिय प्रत्याशिओं में जीतकर आने वाले विधायकों से संपर्क साधने के लिय कहा गया है एसे में यह भी कयास लगाये जाने लगे हैं कि डा0 निशंक को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी से नवाजने वाली है।