उत्तराखंड

सन 1670 के आसपास चंद वंश के नरेश बाज बहादुर चंद बाधानगढ़ी से नंदा देवी की स्वर्ण मूर्ति अल्मोड़ा ले आये

सन 1670 के आसपास चंद वंश के नरेश बाज बहादुर चंद बाधानगढ़ी से नंदा देवी की स्वर्ण मूर्ति अल्मोड़ा ले आये और उसे अल्मोड़ा के मल्ला महल ( इस पुराने कलेक्ट्रेट भवन) में रखवा दिया। गोरख शासन के बाद जब 1815 में अंग्रेजी कमिश्नर ट्रेल ने नंदा की मूर्ति को मल्ला महल से वर्तमान नंदा देवी परिसर के समीप उद्योत चंद्रेश्वर मंदिर में रखवा दिया था।
लोक मान्यता है कि इसके कुछ समय बाद जब कमिश्नर ट्रेल नंदा देवी शिखर की ओर गए तब उनके आंखों की दृष्टि धुंधली होने लग गयी इसे लोगों ने देवी का दोष माना। बाद में लोगों के विश्वास पर 1816 के दरम्यान उन्होंने चंद्रेश्वर मंदिर के निकट वर्तमान नंदा का मंदिर बनवाकर वहां पर मां नंदा देवी की मूर्ति स्थापित की।

इस पर लोकरत्न पंत गुमानी ने भी कहा है।
” विष्णु का देवाल उखाड़ा ऊपर बंगला बना खरा।
महाराज का महल ढवाया बेडी खाना तहाँ धरा।।
मल्ले महल उड़ाई नंदा बंगलो से भी तहाँ भरा।
अंगरेजों ने अल्मोड़े का नक्शा औरै और किया ।।”

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