रमेश कुड़ियाल
जोशीमठ। लगातार खराब हो रहा मौसम भी जोशीमठ के लोगों को डरा रहा है।खास तौर पर शहर के दो बहुमंजिला होटल कई घरों के लिए खतरे का सबब बने हुए हैं। खराब मौसम और मुआवजे की राशि तय नहीं हो पाने के कारण इन होटलों के दोस्त ए करण का काम भी नहीं हो पाया है। ऐसे में अब अगर बारिश और हिमपात होता है तो खतरा और बढ़ जाएगा।
जोशीमठ के लोग कई दिनों से सो नहीं पाए हैं।उनकी आंखों के नींद पूरी हुई है,जबकि भविष्य अनिश्चितता के दौर में है।किसी को कुछ सूझ नहीं रहा कि आगे क्या होगा। कई मकान क्षतिग्रस्त होने के कगार पर है।ऐसे में मकान मालिक खिड़की दरवाजे तक उखाड़ कर ले गए हैं। बड़ी आबादीयह तय नहीं कर पा रही है कि उनके भविष्य का क्या होगा। कई लोगों का कहना है कि उन्होंने तिनका तिनका जोड़ कर अपने सपनों का घर बनाया था, लेकिन अब यहां सपना धड़क रहा है।वॉइस के लिए सीधे तौर पर एनटीपीसी को दोषी मानते हैं। दिलबर अधिकारियों और आम जनता के बीच वा संवाद भी किसी फैसले पर नहीं पहुंच पाया। अवैध रूप से बने दो होटल जोशीमठ के लोगों पर भारी पड़ रहे हैं। होटल मालिक 8 करोड़ के मुआवजे की मांग पर अड़े हैं। होटल मालिकों का कहना है कि दोस्ती करण से उन्हें परहेज नहीं है लेकिन पहले सरकार उन्हें पीपलकोटी में जोशीमठ में स्थित होटलों की जमीन के बराबर भूखंड आवंटित करें साथ ही 8 करोड़ का मुआवजा भी दे।उसके बाद ही दोस्त करण की कार्यवाही की जाए।
वही अन्य पीड़ित परिवार भी चाहते हैं कि उन्हें उनके मकान का बद्रीनाथ में हो रहे विकास कार्यों की तर्ज पर मुआवजा मिले। उनका साफ कहना है कि ऐसा नहीं होने पर वहां धरने से नहीं उठेंगे। उधर प्रशासन का कहना है कि बद्रीनाथ एक ड्रीम प्रोजेक्ट है और या प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री के दिशा निर्देश पर चल रहा है। बद्रीनाथ में ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जा रहा है जबकि जोशीमठ में आपदा के कारण लोगों को हटाया जा रहा है। ऐसे में उन्हें बद्रीनाथ के तर्ज पर मुआवजा नहीं दिया जा सकता। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि उत्तरकाशी में वर्णावत की तर्ज पर उन्हें मुआवजा दिया जा सकता है’।प्रशासन बाजार मूल्य के हिसाब से भी मुआवजा देने के लिए तैयार है लेकिन बाजार दर क्या है इसका खुलासा नहीं किया गया है। प्रभावितों का कहना है कि प्रशासन बाजार दर का खुलासा करें तो वहां धरना स्थगित करने और मकानों के दृष्टि करण के लिए विचार कर सकते हैं। फिलहाल मामला फंसा हुआ है।
मौसम बेहद खराब हो रहा है। जोशीमठ के प्रभावितों की स्थिति भी मौसम की तरह बेहद खराब है।ऐसे में अगर प्रशासन जल्द ही कोई ठोस निर्णय नहीं लेता तो स्थिति और विकराल हो सकती है। हालांकि अभी प्रशासन का ध्यान केवल दो बहुमंजिला होटलों को हटाने की दिशा में है लेकिन यह बहुमंजिला होटल कैसे बने और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही होगी इसके लिए भी लोग प्रशासन की ओर टकटकी लगाए हुए देख रहे हैं।