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दो करोड़ रुपए में एक कथा करते हैं बागेश्वर महाराज, पंडित धीरेंद्र शास्त्री के बारे में ये रोचक फैक्ट कर देंगे हैरान

बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों देशभर में घूम रहे हैं। उनकी कथाओं और कार्यक्रमों में लाखों लोग जुटते हैं इसलिए खासतौर पर राजनीतिक दलों के लोग पंडित शास्त्री को बुलाते हैं और कथा या प्रोग्राम कराते हैं। उनके कार्यक्रम बेहद खर्चीले होते हैं।

बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र शास्त्री इन दिनों देशभर में घूम रहे हैं। उनकी कथाओं और कार्यक्रमों में लाखों लोग जुटते हैं, इसलिए खासतौर पर राजनीतिक दलों के लोग पंडित शास्त्री को बुलाते हैं और कथा या प्रोग्राम कराते हैं। उनके कार्यक्रम बेहद खर्चीले होते हैं। इसके बाद भी उनकी कथाओं या कार्यक्रमों की जैसे बाढ़ सी आ गई है। उनके कार्यक्रम कई पैकेजेस में हो रहे हैं।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक ऐसा नाम जो दुनिया भर में भागवत कथा, श्री राम कथा, हनुमंत कथा आदि के लिए जाना जाता है। लेकिन चर्चा में वे तब आए, जब बेबस, मजबूर लोगों के दिल का हाल उन्होंने बिना कुछ कहे ही जान लिया। देश-दुनिया में उनके प्रति श्रद्धा का भाव रखने वाले लोगों की संख्या करोड़ों में है। हर उम्र का तबका आपको उनके फॉलोअर्स की लिस्ट में दिख जाएगा। अपने नाम की अर्जी लगाने के बाद वह व्यक्ति की हर परेशानी को चेहरा देखकर खुद ही बता देते हैं। परेशान दिल का हाल जैसे ही लोगों के सामने आता है, वे भावुक हो जाते हैं, उनकी संवेनाएं उनसे जुडऩे लगती हैं और फिर वे उन्हें उनकी परेशानियों का हल भी बताते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जहां भी आप अर्जी लगाने पहुंचते हैं, वहां आकर आपके दिल का हाल बताने वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री देश के सबसे महंगे कथा वाचक हैं। एक कार्यक्रम के लिए आयोजकों को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

पिछले करीब 6 माहीने से वे बेहद व्यस्त हैं। देश के अलग—अलग शहरों में उनके भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। असम से लेकर राजस्थान, महाराष्ट्र और बिहार तक में उनके प्रोग्राम हो रहे हैं।

– पंडित धीरेंद्र शास्त्री का पूरा नाम पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री है।

– उन्हें बागेश्वर महाराज के नाम से दुनिया भर में जाना जाता है।

– उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में 4 जुलाई 1996 को हुआ था।

– छतरपुर जिले के गढ़ा गांव में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपना शुरुआती जीवन आर्थिक अभावों में गुजारा है।

– उनके पिता राम करपाल गर्ग एक पुजारी थे। वे यजमान बनकर कथा कहते थे।

– उनकी मां सरोज गर्ग एक गृहिणी थीं।

– धीरेंद्र शास्त्री का पालन पोषण बेहद सादे तरीके से किया गया।

– एक ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण उन्हें पूजा-पाठ या अपने धर्म से संबंधित संस्कार विरासत में मिले हैं।

– धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी प्रारंभिक परीक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की।

– उनके गांव में स्कूल नहीं था। इसलिए उन्होंने इंटरमीडिएट तक की परीक्षा शहर से पूरी की।

– कला वर्ग से स्नातक करने के बाद उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा को समर्पित कर दिया।

– अपने दादा भगवान दास गर्ग के साथ रहते हुए उन्होंने उन्हें ही अपना गुरु बना लिया।

– उनके दादा का बागेश्वर धाम से गहरा संबंध रहा है। दरअसल उनके दादा निर्मोही अखाड़े के पास हनुमान मंदिर में लगने वाले दरबार का नेतृत्व करते थे।

– अपने दादा की प्रेरणा से ही धीरेंद्र शास्त्री भी दिव्य दरबार का हिस्सा बने और अपना काम शुरू किया।

– उस दिव्य दरबार के कारण धीरेंद्र शास्त्री धीरे-धीरे फेमस हो गए। लोग उनकी कथा वाचन की कला को पसंद करने लगे।

– कई बार बागेश्वर महाराज धीरेंद्र शास्त्री ने यह बात कही है कि उन्हें जो भी सिद्धि और शक्तियां प्राप्त हैं, वे उनके दादा भगवान दास गर्ग का ही आशीर्वाद है।

– धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर महाराज का दावा है कि वे भक्तों की सारी विनती सुनकर हनुमान जी के पास पहुंचाते हैं।

– वहीं लोगों का मानना है कि बाबा बागेश्वर भूत प्रेत भी भगाते हैं। भक्त सिर्फ पर्ची पर अपना नाम लिखकर बाबा बागेश्वर तक पहुंच जाते हैं और वह नाम पढ़कर बिना बोले उनकी सारी मुश्किलें, परेशानियां और समस्या बता देते हैं।

– इसलिए उन्हें बागेश्वर महाराज, बागेश्वर धाम सरकार के नाम के साथ ही चमत्कारी बाबा के नाम से भी जाना जाने लगा है।

– अपने चमत्कारों के कारण ही वे पूरे भारत के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन गए हैं।

– रोजाना लाखों लोग उनके पास अपनी अर्जियां लेकर आते हैं और अपनी समस्याओं का निदान पाते हैं।

– हैरान करने वाली बात यह है कि उनके दरबार में आने वाले लोगों को यह भी नहीं बताना पड़ता कि वह किस लिए आए हैं? उनकी समस्या क्या है?

– उनके इन्हीं चमत्कारों के कारण बागेश्वर धाम में आने वाले लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं।

– आपको बता दें कि बागेश्वर धाम मंदिर मध्य प्रदेश का सुप्रसिद्ध मंदिर है। यहां पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपना दरबार लगाते हैं।

– यह धाम मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा गांव में स्थित है, जो प्रभु श्री राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी को समर्पित है।

– बागेश्वर धाम में हर मंगलवार को बागेश्वर महाराज का दरबार लगता है। देश के कोने-कोने से लोग यहां अर्जी लगाने पहुंचते हैं।

– इनका नाम कथावाचक जया किशोरी के साथ जुुड़ चुका है। यहां तक कि इनकी शादी की अफवाहें तक फैलीं। लेकिन खुद धीरेंद्र शास्त्री ने इस मामले को नकारते हुए इन अफवाहों पर विराम लगा दिया।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को मिले सम्मान
– साल 2022 में पंडित धीरेंद्र शास्त्री को 3 पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

– जून 2022 में ब्रिटेन दौरे पर इन्हें संत शिरोमणि पुरस्कार के साथ ही वल्र्ड बुक ऑफ लंदन और वल्र्ड बुक ऑफ यूरोप नामक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

– 14 जून 2022 के दिन पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को यह तीनों पुरस्कार ब्रिटिश संसद द्वारा दिए गए।

यहां जानें पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कुल संपत्ति, नेटवर्थ
– पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अब देश के सबसे प्रमुख और महंगे प्रवचनकार और कथावाचक बन चुके हैं।

– इनके कार्यक्रम इतने बड़े स्तर पर होते हैं कि एक कार्यक्रम आयोजित करवाने के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं।

– देश के अधिकांश हाईप्रोफाइल प्रवचनकारों के आयोजन करवा चुके एक हाईप्रोफाइल मैनेजर ने उनकी कथा का अनुमानित खर्च बताया है।

– उनका कहना है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री की कथा में अब करीब 2 करोड़ का खर्च आता है।

– पहले वे करीब 7 दिन की कथा करते थे लेकिन, अब 3 से 5 दिन का प्रोग्राम भी कर रहे हैं।

– उनकी कथा के कई अलग-अलग पैकेज हैं। केवल कथा का ही पैकेज न्यूनतम 1.50 करोड़ रुपए का है।

– इसके अलावा कथा का चैनलों पर प्रसारण किया जाता है, जिसका पैसा अलग से देना होता है।

– इनके कार्यक्रमों में औसतन 2 लाख लोग आते हैं इसलिए विशाल पंडाल बनाने में ज्यादा खर्च हो जाता है।

– खुद पंडित धीरेंद्र शास्त्री भी खुद को देश का सबसे महंगा कथा वाचक मानते हैं और कहते हैं एक कथा का वन सीआर यानी एक करोड़ तो बनता है। सोशल मीडिया पर उनका यह वीडियो वायरल है। हालांकि इसमें वे ये भी कह रहे हैं कि हम दक्षिणा नहीं लेते।

यह है एक कथा का अनुमानित खर्च
– भक्ति चैनल पर प्रसारण 10 लाख रुपए

– आयोजन स्थल-पंडाल 35 लाख रुपए

– भोजनालय, प्रसाद 35 लाख रुपए

– साउंड सिस्टम और स्क्रीन 25 लाख रुपए

– सुरक्षा व्यवस्था 15 लाख रुपए।

– अन्य खर्च 15 लाख रुपए।

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