टिहरी में कांग्रेस नेताओ ने केंद्र के इस निर्णय की मजमत्त की है, पार्टी प्रदेश महामंत्री शान्ति प्रसाद भट्ट, जिला अध्यक्ष राकेश राणा, पूर्व जिलाध्यक्ष सूरज राणा,पीसीसी डेलीगेट नरेंद्र राणा, मुरारीलाल खंडवाल, अखिलेश उनियाल, मुशरफ अली, नरेंद्रचंद रमोला, सोबन सिंह नेगी, पूर्व पालिका अध्यक्ष विक्रम सिंह पंवार, ज्योति प्रसाद भट्ट,चम्बा पालिकाअध्यक्ष श्रीमती सुमना रमोला, महिला कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री श्रीमती दर्शनी रावत , सुमेरी बिष्ट, मुन्नी बिष्ट, आशा रावत,नई टिहरी शहर कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप पंवार, चम्बा शहर कांग्रेस अध्यक्ष शक्ति जोशी, ब्लॉक कांग्रेसअध्यक्ष साब सिंह सजवान, मान सिंह रौतेला, देवेंद्र नौडियाल, मुर्तजा बेग,आदि नेताओ ने एक स्वर में केंद्र के इस नाम बदलो राजनीति की कड़ी निंदा कर कहा कि,
आजादी के बाद दिल्ली का तीन मूर्ति भवन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का आवास बना था। प्रधानमंत्री बनने के बाद वे 16 साल तक, मृत्युपर्यंत इसी आवास में रहे,पंडित नेहरू जी ने अपनी सारी पैतृक संपत्ति देश के नाम दान कर दी थी। उनके देहांत के बाद तत्कालीन श्री लालबहादुर शास्त्री जी की सरकार ने फैसला किया कि,उनके आवास को म्युजियम में बदलकर राष्ट्र को समर्पित कर दिया जाएगा।
नेहरू जी की 75वीं जयंती पर देश के राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने 14 नवंबर, 1964 को इसे ‘नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी’ के नाम से देश को समर्पित किया था। यह किसानों एवं जवानों के मसीहा श्री शास्त्री जी, राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी समेत समूचे देश का फैसला था। तबसे ही नेहरू मेमोरियल म्युजियम एंड लाइब्रेरी हमारे देश का एक ऐतिहासिक स्थल रहा है, जो पुस्तकों, अभिलेखों एवं बौद्धिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है।
पंडित नेहरू जी के देहांत को लगभग 59 साल बीत चुके हैं। इतने बरसों बाद केंद्र में बैठी भाजपा सरकार द्वारा उनपर तरह-तरह के हमले करना, उनकी विरासत से छेड़ छाड़ करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और हीनताबोध का सूचक है। ‘नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी’ से पंडित नेहरूजी का नाम हटाना इसी कड़ी का एक अगला कदम है।
पंडित नेहरू जी वह शख्सियत थे,जिन्होंने महात्मा गांधी जी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, लालबहादुर शास्त्री, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जैसे तमाम महानायकों के साथ इस देश की आजादी और इसके निर्माण के लिए संघर्ष किया था। देश की आजादी के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी के लगभग 10 साल जेलों में गुजारे। आजादी के बाद सैकड़ों संस्थाओं का निर्माण करके एक मजबूत भारत की नींव रखी। ऐसी शख्सियत की विरासत को कोई कभी मिटा नहीं सकता। उनके प्रति द्वेष भावना रख कर उनके नाम को मिटाने की कोशिश करने वाले हीनभावना के शिकार हो चुके है, उनकी घृणित मानसिकता का परिचय है ।