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ब्रेकिंग न्यूज: शिशु-विद्या मंदिरों के आचार्य भाजपा से नाराज क्यों

दबे स्वरों में आचार्यगण सोच रहे हैं इस बार अपने हितों के बारे में

देहरादून। भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं है। हालोकि आरएसएस के अनुशासन के चाबुक के कारण अभी विद्या भारती से जुड़े आचार्यगण मुखर होकर तो अपनी नाराजगी नहीं जता रहे हैं। बावजूद इसके अनौपचारिक बातचीत में उनकी पीड़ा झलक करबाहर आ रही है। उनका कहना है कि हर चुनाव में वह पूरे तन-मन से भाजपा के लिए काम करते हैं, लेकिन सरकार बनने के बाद उनका कोई सुध लेने वाला नहीं है। तमाम निजी स्कूलों को भाजपा सरकार के दौरान भी वित्तीय मान्यता मिलती रही है।इससे वहां कार्यरत शिक्षकों का वेतन भी अच्छा खासा हो गया। लेकिन सरस्वती शिशु मंदिरों एवं विद्या मंदिरों के आचार्य आर्थिक संकट सेगुजर रहे हैं।दबे स्वर में ही सही, लेकिन उनका कहना है कि अबअपने हितों के लिएसजग होनाही पड़ेगा।

सरस्वती शिशु मंदिरों एवं विद्या मंदिरों के आचार्य कम वेतन में भी शिक्षादेने का बेहतरीन काम कर रहे हैं। यही वजह है कि करीब हर साल इन स्कूलों के छात्र मेरिट सूची में स्थान बनाते हैं। आचार्यणों के ऊपर जहां बेहतर शिक्षा देने काकाम है,वहीं आरएसएस के तमाम कार्यों को भी धरातल पर उतारने की उनकी नैतिक जिम्मेदारी है। देहरादून, टिहरी और उत्तरकाशी के कई आचार्यों नेअनौपचारिक बातचीत में कहा कि हिंदुत्व के लिए काम करना तो उनका कर्तव्य है, लेकिन अपने पाल्यों को लायक बनाना,परिवार की उचहत परवरिश और अन्य सामाजिक दायित्वों से भी वह विमुख नहीं हो सकते। कहते हैं कि वह चुनाव में भाजपा के लिए घर-घर जाकर कामकरते हैं। इसके लिए उन्हें कुछ नहीं मिलता। जबकि भाजपा कार्यकर्ताओं को तमाम तरह सेपोषित कियाजाता है। कहते हैं इसे लेकर भी उन्हें कोई गुरेज नहीं है। लेकिन भाजपा की सरकार बनने के बाद भी उनके कभी अच्छे दिन नहीं आए।

उत्तरकाशी जिले में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत एक आचार्य बताते हैं कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में भी दर्जनों प्राइवेट स्कूलों को वित्तीय मान्यता मिली है। जिससे वहां कार्यरत शिक्षकों का वेतन भीअच्छा खासा हो गया। जबकि विद्या मंदिर के शिक्षक आर्थिक मंदी के दौर सेगुजर रहे हैं। वहीं टिहरी में कार्यरत एकआचार्य का कहना है कि स्कूल भवनों के विस्तार एवं भाजपा संगठन को मजबूत करने के लिए उन पर अघोषित रूप सेदबाव रहता है , लेकिन उनके परिवार कीसुध लेने के लिए किसी भी स्तर पर काम नहीं होता।

देहरादून जिले में वर्षों से कार्यरत एक आचार्य तो यहां तक कहते हैं कि वह भाजपा के लिए ही काम करेंगे। यह उनका नैतिक दायित्व भी है, लेकिन उनके परिजन भीभाजपा को ही वोट देंगे,इस बारे में वह यकीनी तौर पर कुछ नहीं कह सकते।वह बताते हैं कि अब तो बच्चे भी कहते लगे कि भाजपा के लिए काम करने से उन्हें क्या हासिल हुआ।

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