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एआईसीटीई के संग टीएमयू में यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर एफडीपी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद- एआईसीटीई के सहयोग से यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर सारगर्भित और विचारोत्तेजक एफ़डीपी में एआईसीटीई की ओर से डॉ. पारुल वर्मा और डॉ. पवनेन्द्र कुमार की बतौर रिसोर्स पर्सन, डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय की बतौर पर्यवेक्षक रही महत्वपूर्ण भागीदारी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद- एआईसीटीई के सहयोग से यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज पर आयोजित एफ़डीपी- फैकल्टी डवलपमेंट प्रोग्राम में सारगर्भित और विचारोत्तेजक संवाद के जरिए फैकल्टीज़ को आत्ममंथन के लिए बार-बार डुबकी लगवाई, ताकि वे स्वंय, परिवार, समाज और प्रकृति के साथ समांजस्य स्थापित करने की समझ विकसित कर सकें। एआईसीटीई की ओर से डॉ. पारुल वर्मा और डॉ. पवनेन्द्र कुमार बतौर रिसोर्स पर्सन, जबकि डॉ. अरुण कुमार पाण्डेय बतौर पर्यवेक्षक आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही। तीन दिनी इस एफडीपी के 12 सत्रों के जरिए शिक्षकों को मूल्य-आधारित शिक्षा के दर्शन, सिद्धांतों और व्यावहारिक अनुप्रयोगों से अवगत कराया गया, ताकि वे न केवल विषय विशेषज्ञ बनें, बल्कि स्टुडेंट्स के समग्र विकास में मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकें। एफडीपी के समापन मौके पर टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन के संग-संग यूनिवर्सिटी की डीन एकेडमिक्स एवम् एफडीपी की चेयरपर्सन प्रो. मंजुला जैन, एफडीपी की कन्वीनर डॉ. नेहा आनन्द, को-कन्वीनर डॉ. वरुण कुमार सिंह की भी उल्लेखनीय मौजूदगी रही। एफडीपी के दौरान सवाल-जवाब का भी दौर चला। इसके अलावा प्रतिभागियों को तीन ग्रुपों में बांटकर मानवीय मूल्यों को लेकर परस्पर विस्तार से चर्चा करने का मौका दिया गया।

एफडीपी में मानव आकांक्षाओं, समग्र विकास, सुख और समृद्धि की अवधारणाओं के संग-संग स्व और शरीर, परिवार, समाज और प्रकृति के मध्य सामंजस्य की समझ पर सत्र केंद्रित रहे। परिवार में सामंजस्य, सम्मान का सही मूल्यांकन, रिश्तों की अन्य भावनाएं जैसे स्नेह, देखभाल, मार्गदर्शन, श्रद्धा, महिमा, कृतज्ञता और प्रेम पर भी विस्तृत से चर्चा की गई। एआईसीटीई के एक्सपर्ट्स का स्पष्ट नजरिया रहा कि इन सभी भावनाओं की पहचान, पूर्ति और मूल्यांकन से न्याय की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे आपसी संतोष और पारस्परिक खुशी संभव है। इनमें नौ भावनाओं- विश्वास, सम्मान, स्नेह, ममता, वात्सल्य, श्रद्धा, गौरव, कृतज्ञता और प्रेम को प्रस्तुत किया गया। सभी सत्रों में वक्ताओं ने संवादात्मक, सहभागी और आत्मनिष्ठ पद्धति के माध्यम से शिक्षकों को प्रेरित किया। उल्लेखनीय है, यह एफडीपी केवल एक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि एक आंतरिक परिवर्तन की यात्रा रही। प्रतिभागियों ने अनुभव किया कि मूल्य आधारित शिक्षा से न केवल स्टुडेंट्स में सकारात्मक परिवर्तन आता है, बल्कि समाज भी अधिक सहिष्णु, समावेशी और मानवतावादी बन सकता है। एफडीपी में नर्सिंग कॉलेज की डीन प्रो. एसपी सुभाषिनी, डॉ. जेसलीन एम., डॉ. अमित कंसल, प्रो. रामनिवास, डॉ. संदीप वर्मा आदि के संग मुरादाबाद के सेंट मीरा एकेडमी, रामपुर के इम्पैक्ट कॉलेज, बिलासपुर के एपेक्स इंजीनियरिंग कॉलेज के टीचर्स भी मौजूद रहे।

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