उत्तराखंड

शब्दों से कई गुना अधिक शक्ति होती है चित्रों में : प्रियंवद

कला दीर्घा, अंतरराष्ट्रीय दृश्य कला पत्रिका एवं गुरुकुल कला वीथिका, आजाद नगर, कानपुर द्वारा आयोजित हुलास, अखिल भारतीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन आज प्रख्यात कथाकार एवं उपन्यासकार प्रियंवद द्वारा किया गया। दीप प्रज्वलित कर हुलास प्रदर्शनी का उद्घाटन और अवलोकन करने के उपरांत मुख्य अतिथि प्रियंवद ने प्रदर्शनी के कैटलॉग का विमोचन किया और कहा कि चित्रों में शब्दों से कई गुना अधिक शक्ति होती है और कम समय में बहुत कुछ संप्रेषित कर देते हैं चित्र। हुलास प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्र पूरे देश के विभिन्न अंचलों की संवेदनाओं को संप्रेषित करने में सक्षम हैं।

इससे कानपुर नगर की कला गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा। कला दीर्घा पत्रिका के संपादक डॉ अवधेश मिश्र ने कहा कि यह प्रदर्शनी स्थापित और ऊर्जावान रचनाकारों की प्रयोगधर्मिता है जो उनके स्टूडियो से चलकर गुरुकुल कला वीथिका तक आई है, जिसका रसास्वादन कानपुर के कला प्रेमी, कलाकार एवं कला अध्येता कर सकेंगे। यह प्रदर्शनी देश के अन्य नगरों में भी आयोजित की जाएगी।

हुलास प्रदर्शनी रंगों का उत्सव है जो उनमें उमंग भरकर कला रसिकों को रचने को प्रवृत्त करेगी। कला दीर्घा की प्रकाशक डॉ लीना मिश्र ने कहा कि सदैव की भाँति इस बार भी कला दीर्घा, अंतरराष्ट्रीय दृश्यकला पत्रिका रंगों का उल्लास ‘हुलास’ प्रदर्शनी के रूप में विविध आंचलिक सुवास से लबरेज कृतियों का गुलदस्ता लेकर उत्तर प्रदेश के महत्त्वपूर्ण औद्योगिक नगर कानपुर की गुरुकुल कला वीथिका में उपस्थित है जिसमें सम्मिलित सभी 21 कलाकारों की कृतियाँ उनके व्यक्तित्व, उसकी सोच और कौशल के साथ ही उनकी पृष्ठभूमि विशेष, जहाँ की आबो-हवा से उन्हें ऊर्जावान काया, सकारात्मक सोच और रचनात्मक मन प्राप्त हुआ है, की विशेषताएं देखी, पहचानी और आत्मसात की जा सकती हैं।

इन कृतियों में कलाकारों का अपने अतीत में झाँकता और सुखद यात्रा को महसूस करता हुआ मन भी पढ़ा जा सकता है जिसमें वह अपनी अन्तरात्मा को उतार देता है। ऐसे समस्त कलाकारों की महत्त्वपूर्ण और प्रतिनिधि कृतियों से सुसज्जित यह ‘हुलास’ प्रदर्शनी आपको भी उल्लास के सुवासित रस-रंग से भिगो देगी, ऐसी आशा है। गुरुकुल कला वीथिका में यह प्रदर्शनी आयोजित कर हमारे सह-आयोजक बनने के लिए आचार्य अभय द्विवेदी एवं उनकी पूरी टीम अभिनय प्रताप सिंह, नेहा मिश्रा, अध्यात्म शिवम झा एवं वीना अवस्थी सहित कला दीर्घा के समन्वयकद्वाय डॉ अनीता वर्मा एवं सुमित कुमार को हार्दिक धन्यवाद।
बताते चलें कि ‘कलादीर्घा’ भारतीय कलाओं के विविध स्वरूपों का दस्तावेजीकरण और उसके प्रसार के उद्देश्य से सन 2000 में स्थापित, दृश्य कलाओं की अन्तरदेशीय कला पत्रिका है जो अपनी उत्कृष्ट कला-सामग्री और सुरुचिपूर्ण-कलेवर के कारण सम्पूर्ण कलाजगत में महत्त्वपूर्ण पत्रिका के रूप में दर्ज की गई है। अपने स्थापनावर्ष से लेकर आज अपनी यात्रा के रजत जयन्ती वर्ष पूर्ण करने तक पत्रिका ने उत्साहपूर्वक लखनऊ, पटना, भोपाल, जयपुर, बंगलौर, नई दिल्ली, लंदन, बर्मिंघम, दुबई, मस्कट आदि महानगरों में अनेक कला-गतिविधियों का उल्लेखनीय आयोजन किया है और आगे भी सोल्लास अपने दायित्वों का निर्वहन करती रहेगी।

पत्रिका ने समय-समय पर वरिष्ठ कलाकारों के कला-अवदान का सम्मान करते हुए युवा कलाकारों को उनकी कलाभिव्यक्ति और नित नए प्रयोगों को कलाप्रेमियों के समक्ष प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया है। हाल में ही आयोजित कला प्रदर्शनी ‘हौसला’, ‘वत्सल’, ‘समर्पण’, ‘ढिबरी’, ‘बसन्त’, ‘नास्टैल्जिया.25’, और ‘चौपाल’ के उपरान्त आज कानपुर में फिर ‘हुलास’ प्रदर्शनी के साथ उपस्थित है। प्रदर्शनी में मनदीप वर्मा, सुमित कश्यप, आर के शर्मा, गोपाल खन्ना, रणधीर सिंह, अश्वनी कुमार द्विवेदी, शीलेंद्र विद्यार्थी, डॉ हृदय गुप्ता, जहान सिंह आदि नगर के कला प्रेमी उपस्थित थे।
समन्वयकद्वय डॉ अनीता वर्मा और सुमित कुमार ने बताया कि यह प्रदर्शनी 26 अप्रैल तक अपराह्न 3:00 बजे से सायं 7:30 बजे तक दर्शकों के अवलोकनार्थ खुली रहेगी।

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