उत्तराखंड

रामलीला : कुंभकरण को ढोल नगाड़े के साथ जगाया गया

चौपाई ~
सोइ जानइ जेहि देहु जनाई।
जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई॥
तुम्हरिहि कृपाँ तुम्हहि रघुनंदन।
जानहिं भगत भगत उर चंदन॥*

भावार्थ ~

अखिल कोटि ब्रह्मांड नायक जगतपिता जगदीश्वर करुणानिधान सूर्यवंशी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी वही आपको जानता है, जिसे आप जना देते हैं और जानते ही वह आपका ही स्वरूप बन जाता है। हे रघुनंदन! हे भक्तों के हृदय को शीतल करने वाले चंदन! आपकी ही कृपा से भक्त आपको जान पाते हैं।

चौपाई ~
जा पर कृपा राम जी की होई।
ता पर कृपा करहिं सब कोई॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥

भावार्थ ~

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