उत्तराखंडशिक्षा

प्रतिभा दिवस पर बच्चों ने जीता मम्मियों का विश्वास, अपनी संस्कृति को जीवन्त रखने का दिया भरोसा

कमलेश्वर प्रसाद भट्ट
देहरादून। बच्चों के विकास में जब कभी भी सबसे बड़ी भूमिका की बात की जाती है तो माँ सर्वोपरि होती है। माँ ही तो है, जो बच्चे में संस्कारों का सृजन करती है और परिवार तथा समाज की आदर्श निर्माता होती है।
उक्त बातें शनिवार को बुरांसखंडा स्थित इण्टर कॉलेज में आयोजित प्रतिभा दिवस के अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य दीपक नेगी ने कहीं। उन्होंने कहा कि विद्यालय में तो एक निश्चित समयावधि तक ही बच्चा रहता है जबकि शेष समय वह परिवार तथा समुदाय के संपर्क से सीखता है। यह निश्चित है कि बच्चे को विषय ज्ञान विद्यालय से तथा नैतिक एवं चारित्रिक मूल्य परिवार से प्राप्त होते हैं।
अध्यापक अभिभावक एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र नेगी ने कहा कि बेटा तथा बेटी दोनों ही ईश्वर के उपहार हैं, उनका समानभाव से पालन- पोषण आवश्यक है। उन्होंने परिवार में समदृष्टि तथा समान भाव अपनाये जाने पर जोर दिया।
वरिष्ठ प्रवक्ता आर एस रावत ने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ संस्कार का समावेश भी आवश्यक है, उन्होंने कहा कि गलत संस्कार वाला व्यक्ति समाज में सदैव निन्दा का पात्र बनता है। यहाँ पर बच्चों में भावनात्मक जुड़ाव देखने को मिलता, बच्चों में मिलजुलकर कार्य करने की अच्छी आदतें दिखाई देती हैं। विद्यालय परिवेश में प्रतिभा दिवस के आयोजनों को महत्वपूर्ण बताते हुए प्रवक्ता कमलेश्वर भट्ट ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों में नैतिक विकास के साथ ही उनमें लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने का अवसर प्राप्त होता है। ऐसे कार्यक्रम बाल विकास में अध्यापक व अभिभावकों के बीच संवाद बनाये रखने के लिए सेतु का कार्य करते हैं। इससे पूर्व कार्यक्रम का प्रारम्भ स्थानीय ढ़ोल-दमाऊं से आह्वाहन करते हुए माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ द्वीप प्रज्ज्वलन से हुआ, वहीं शिक्षिका सुमन हटवाल के निर्देशन में बालिकाओं ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत कर अभिभावकों का स्वागत किया।
प्रतिभा दिवस पर बाल प्रतिभाओं के साथ ही उनकी मम्मियों ने भी बढ़ चढ़कर भाग लिया। पूर्व निर्धारित गतिविधियों में स्वरचित कविता पाठ, लेखन अभ्यास, सुलेख, सामान्य ज्ञान, एवं लोकगीत-लोकनृत्य आदि प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें अधिकांश बच्चों ने प्रतिभाग किया। मम्मियों के साथ ही बच्चों की कुर्सी दौड़ प्रतियोगिता से स्वस्थ खेल भावना को परखा गया। स्थानीय वाद्य यंत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्कूली बच्चों ने ढ़ोल-दमाऊं के साथ लोक कला को जीवंत रखने का प्रत्यक्ष प्रमाण दिया। ढ़ोल विधा के साथ बच्चों व अभिभावकों ने भी लोकनृत्य में भाग लिया।
विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्थान पाने वाले प्रतिभागियों को मैडल देकर प्रोत्साहित किया गया। सुलेख में अनुजा राणा, मानसी तथा सान्वी ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया, वहीं सामान्य ज्ञान में आदित्य, मानसी और पीयूष ने स्थान बनाया। नियमित दैनिक लेखन अभ्यास में ज्योतिका, मानसी एवं सान्वी नेगी विजेता घोषित किए गए। मम्मियों की कुर्सी दौड़ में श्रीमती विनीता, रजनी व पूनम नेगी स्थान बनाया, वहीं बालिकाओं की कुर्सी दौड़ में तनिशा, सान्वी और अर्पिता क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहीं। एकल लोकगीत के रूप में मम्मियों की ओर से श्रीमती रजनी, अनीता व सोनी जवाड़ी और स्वरचित कविता पाठ में बच्चों की ओर से पायल, अंजली, किरन, अवन्तिका, प्रिया, इशिका, अंशिका व वृजेश को पुरस्कृत किया गया। ढ़ोल-दमाऊं वादन के लिए वृजेश बंधुओं को सम्मानित किया गया। बच्चों की प्रतिभा को देख उन्हें प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विद्यालय की पूर्व विज्ञान शिक्षिका मेघा रावत पंवार ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले बच्चों को साज सज्जा किट उपलब्ध करवाया गया, इस हेतु विद्यालय परिवार द्वारा उनका आभार प्रकट किया गया।
इस अवसर पर पी टी ए अध्यक्ष शैलेन्द्र नेगी, पूर्व अध्यक्ष सुमेर भण्डारी व अभिभावकों के साथ ही प्रधानाचार्य दीपक नेगी, प्रवक्ता एन वी पन्त, के के राणा, आर एस चौहान, प्रियंका घनस्याला, के पी भट्ट, आर एस रावत, रीना तोमर, नेहा बिष्ट, जे पी नौटियाल, जी बी सिंह, मनीषा शर्मा, सुमन हटवाल, जय सिंह, प्रवीन व राकेश आदि ने बच्चों की प्रतिभा को सराहते हुए प्रोत्साहित किया।

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