उत्तरकाशी ।
अंतर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस के अवसर पर मुख्य परिसर में वनस्पति विज्ञान व जन्तु विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में ओजोन दिवस मनाया गया । जिसमें सर्वप्रथम जन्तु विज्ञान विभाग की डॉ॰ आकाश चंद्र मिश्रा द्वारा सभी छात्र-छात्राओं को ओजोन के बारे में जानकारी दी गई बताया गया किस प्रकार से ओजोन का छिद्र होता है ओजोन यदि क्षय होता है तो पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर आ जाएंगी, इसके चलते कई प्रकार के जीव जंतु नष्ट हो जाएंगे और साथ-साथ पृथ्वी का तापमान भी बढ़ जाएगा, डॉo मिश्रा द्वारा बताया गया कि हमें ओजोन को क्षय से बचाने के लिए, एसी, रेफ्रिजरेटर आदि सब का सीमित्त नियंत्रण रखना होगा एवं उनका उत्पादन कम से कम करना होगा इसके चलते उन्होंने मॉनिटरियल प्रोटोकॉल की बात कही और इसको कम से कम करने के लिए छात्रों का आह्वान किया । इस अवसर पर वनस्पति विज्ञान विभाग प्रभारी डॉ॰ महेंद्र पाल सिंह परमार द्वारा पी० पी० टी० प्रस्तुतीकरण के माध्यम से छात्रों को ओजोन दिवस पर जानकारी दी गई कि ओजोन हमारी पृथ्वी के लिए किस प्रकार से आवश्यक है या एक ऐसी छतरी है जो कि हमारी पृथ्वी को प्राप्त करने से बचाती है व बताया कि ओजोन एक हल्की गैस होती है जो तीन परमाणु का योग है ओजोन परत सामान्य धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक पाई जाती है यह गैस सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए एक अच्छे फिल्टर का काम करती है ओजोन दिवस के इतिहास की वार्ता करते बताया कि इसको बचाने के लिए 23 जनवरी 1995 को यूनाइटेड नेशन की आमसभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों की जरूरत लाने के लिए 16 सितंबर को अन्तर्राष्ट्रीय ओजोन दिवस को मनाने के लिए पारित किया गया । पूरे विश्व में ओजोन को महत्वपूर्ण विषय में शामिल करने व ओजोन क्षरण से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी दी गई व संरक्षण रखने के कई तरीकों पर विशेष जानकारी दी । महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर बसन्तिका कश्यप द्वारा मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के बारे में बताया गया कि किस प्रकार से मॉनिट्रियल प्रोटोकॉल पर्यावरण को बचाने की बातें करते हैं व इस साल की थीम पृथ्वी को बचाव एवं कम करो , इस पर पड़ने का समय बताया कि ओजोन डिप्लीशन से ग्रीनहाउस गैस पर भी परफेक्ट पड़ता है और पर्यावरण नुकसान होता है व साथ ही बताया कि आज बाजार में ओजोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर एक आदि आ गये हैं इस पृथ्वी को बचाने के लिए जरूरी है कि फॉम के गद्दो का इस्तेमाल न किया जाए । प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो,रूम फ्रेशनर्स केमिकल परफ्यूम का उपयोग न किया जाए और ओजोन फ्रेंडली उपयोगी सामान का इस्तेमाल किया जाए । डॉ॰ प्रोफेसर कश्यप द्वारा बताया गया कि हमें या धरती एक विरासत के तौर पर मिली है इसे हमें आने वाली पीढ़ी को भी देना है हमें ऐसे रास्ते अपनाने चाहिए जिसे न सिर्फ हमारा फायदा हो बल्कि उनसे हमारी आने वाली पीढ़ी बेहद खूबसूरत धरती
बताया गया कि हमें या धरती एक विरासत के तौर पर मिली है, इसे हमें आने वाली पीढ़ी को भी देना , हमें ऐसे रास्ते अपनाने चाहिए जिससे न सिर्फ हमारा फायदा हो बल्कि उनसे हमारी आने वाली पीढी भी बेहद खूबसूरत धरती का आनन्द ले सकेंगी । कार्यक्रम में डॉ॰ जयलक्ष्मी रावत, डॉ० संजीव लाल, डॉ॰ आराधना चौहान व डॉ० रीना शाह आदि उपस्थित रहे ।