देहरादून। टिहरी जिले की धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा इस सीट को हासिल करने के लिए इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।यही वजह है कि वह इस बार प्रत्याशी का चयनबहुत सोच विचार करने के मूड में है।इस सीट पर अब तक हुए चार चुनावों में भाजपा ने दो बार जीत का पचम लहराया है, जबकि कांग्रेस को केवल एक बार जीत का स्वाद मिला। पिछली बार इस सीटपर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर प्रीतम पंवार ने जीत का झंडा फहराया था। इस बार उनके सामने सीट को बचाने कीचुनौती होगी। कांग्रेस से अब तक जोत सिंह बिष्ट टिकट की दौड़ में सबसे आगे दिख रहे हैं। इस बार काचुनाव उनके राजनीतिक भविष्य को तय करेगा।
अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद हुए पहले चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर शिक्षक से सेवानिवृत्त कौंलदास ने जीत हासिल कर राजनीति में प्रवेश किया था। तब उन्होंने भाजपा के खजानदास को हराया था। जबकि दूसरे विधानसभा चुनाव में भाजपा के खजानदास ने कांग्रेस के कौंलदास को पटखनी देकर जीत हासिल की थी। बाद में खजानदास शिक्षा मंत्री भी रहे। इस चुनाव में क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल ने प्रसिद्ध लोकगायक प्रीतम भरतवाण पर दांव खेला था, लेकिन वह कोई कमाल नहीं दिखा पाए।
तीसरे विधानसभा चुनाव में इस सीट के सामान्य होने पर भाजपा ने पूर्व प्रमुख महावीर रांगड को प्रत्याशी बनाया और उन्होंने जीत हासिल की। कांग्रेस ने तबमसूरी के पालिकाध्यक्ष रहे मनमोहन सिंह मल्ल को प्रत्याशी बनाया था।
सूबे में हुए चौथे आम चुनाव में इस सीट पर पूर्व में यमनौत्री से दोबार विधायक एवं नगर विकास मंत्री रहे प्रीतम पंवार ने निर्दलीय भाग्य आजमाया और जीत हासिल की। वह इसी क्षेत्र के मूल निवासी हैं। वह अपने सौम्य स्वभाव के कारण लोकप्रिय भी हैं। तब कांग्रेस से जोत सिंह बिष्ट और भाजपा से पूर्व मंत्रीनाराण सिंह राणा प्रत्याशी थे।
इस बार प्रीतम पंवार के सामने जीत को दोहराने की चुनौती है। बीच में उनके फिर से यमुनौत्री सेचुनाव लड़ने की अटकलों से जनता में रही असमंजस की स्थिति सेवह कुछ कमजोर जरूर पड़े। बावजूद इसके क्षेत्र में लगातार सक्रियता और व्यक्तिगत और क्षेत्र के विकास के लिए कोशिशों में जुटे रहना उनका मजबूत पक्ष है।
कांग्रेस से जोत सिंह बिष्ट का टिकट मिलना तय है। वह सूबे के बड़े नेताओं में माने जाते हैं। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। उन्हें कांगेस का थिंक टैंक भी माना जाता हे। वह ब्लॉक प्रमुख संगठन और जिला पंचायत सदस्य संगठन के प्रदेश मुखिया भी रह चुके हैं। उन्हें पंचायतों में विकास कार्यों को सबसे जानकार माना जाता है। क्षेत्र में रात-दिन सक्रियता उनका मजूबत पक्ष है। उनके पास विकास की ठोस येाजनाएं रहती हैं। हर व्यक्ति के सुख-दुख में खड़े रहने की उनकी कोशिशें अगर वोट में बदलती हैं,तो वह इस सीट को कांग्रेस कीझोली में डाल सकते हैं। हालांकि कांगेस से डाक्टर वीरेंद्र रावत भी दावेदारी कर रहे हैं।
भाजपा में टिकट की दावेदारी में जिला पंचायत उपाध्यक्ष रहीं और भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व उपाध्यक्ष मीरा सकलानी सबसे मजबूत दावेदारों में गिनी जा रही हैं। वह विदुषी महिला हैं। क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। जिलापंचायत उपाध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने स्वयं को राजनीतिक क्षेत्र में साबित भी किया है। भाजपा उन्हें टिकट देगी तो महिला होने के नाते वह दमदार प्रदर्शनकरते हुए भाजपा का कमल खिला सकती हैं। भाजपा से पूर्व विधायक महावीर रांगड और पूर्व मंत्रीनारायण सिंह राणा भी दौड़ में हैं। राणा केंद्र में मंत्री राजनाथ सिंह के समधी हैं। लेकिन पिछली बार हार के बाद वह क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे। महावीर रांगड पूर्व सीएम त्रिवेद्र रावत खेमे के माने जाते हैं।
आम आदमी पार्टी से अमेंद्र बिष्ट जिला पंचायत सदस्य दावेदारी कर रहे हैं। उत्तराखंड क्रांति दल से अब तक किसी नाम की चर्चा नहीं है।