रमेश कुडि़याल
नई टिहरी I 25 जुलाई को नई टिहरी जिला जेल दिन भर खुली रही इस बीच हजारों लोगों ने जेल के भीतर घूमे उन्होंने जेल की चक्की देखने के साथ ही बंदियों के बैरक भी देखे। जी हां, अमर शहीद श्रदेव सुमन के शहादत दिक्स पर हर वर्ष पच्चीस जुलाई को आम आदमी के लिए जिला जेल खुली रहती है टिहरी रियासत से आजादी पाने के लिए श्रीदेव सुमन ने टिहरी जेल में चौरासी दिन का आमरण अक्शन करते हुए अपनी शहादत दी थी। उसके बाद ही टिहरी रियासत का खात्मा हुआ और टिहरी रयासत में बाद में प्रजामंडल की सरकार बनी जिसमें परिपूर्णानंद पैन्यूली प्रधानमंत्री, खुशहाल सिंह रांगड़ पीडबलूडी मंत्री, एवं डॅा कुशलानंद गैरोला स्वास्थ्य मंत्री रहे बाद में एक जनवरी 1949 को टिहरी रियासत का भारत में विलीनिकरण हुआ।
आजादी के बाद से श्री देव सुमन के शहादत दिवस पर टिहरी जेल आम आदमियों के लिए खुली रहती है। लोग जेल की बैड़ियाें और श्रीदेव सुमन की प्रतिमा का दर्शन करते थे , साथ ही उस कक्ष में भी जाते थे जहाँ श्रीदेव सुमन को कैद किया गया था। बेडियों में बंधे श्री देव सुमन ने चौरासी दिन की भूख हड़ताल कर अपनी शहादत दी थी।
टिहरी बांध के कारण टिहरी की जेल तो डूब गई और उसके बदले नई टिहरी में जिला जेल बनी नई टिहरी में नई जेल के बाहर श्रीदेव सुमन कक्ष बनाया गया। जहां वह बेड़ी भी रखी गई है, जिसमें श्री देव सुमन को जकड़कर रखा गया था।
श्रीदेव सुमन के शहादत दिवस पर बड़ी संख्या में लोग श्रीदेव सुमन को याद करते हुए उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर उन बैडि़यों को देखते हैं जिनसे श्रीदेव सुमन को बांधा गया था।
हादत दिवस पर नई टिहरी की जिला जेल खुली रहती है और लोग जेल के भीतर आजादी से घूमते हैं।