ऋषिकेश। एसपीएस राजकीय अस्पताल में इस बार भी गंभीर कोरोना मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जाएगा। अस्पताल में छह बेड के कोविड वार्ड के संचालन के लिए अब तक प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती नहीं हो पाई है। वहीं सर्वे के डेढ़ साल बीतने के बाद भी ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित करने को लेकर कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी है।
27 दिसंबर को एसपीएस राजकीय अस्पताल में कोरोना महामारी को लेकर मॉकड्रिल किया गया। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों ने कोविड वार्ड और आईसीयू में प्रयोग होने वाले उपकरणों को भी परखा। मॉकड्रिल और उपकरणों को परखने के साथ अधिकारियों ने भी इतिश्री कर दी। लेकिन इस बार भी यह उपकरण कोरोना के गंभीर मरीजों के किसी काम नहीं आएंगे। अस्पताल में 22 बेड पर ऑक्सीजन की उपलब्धता वाला कोविड वार्ड है। इसके अलावा गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल में छह बेड का कोविड आईसीयू वार्ड है। लेकिन कोविड आईसीयू में वेंटिलेटर आदि मशीनों के संचालन के लिए प्रशिक्षित स्टाफ ही नहीं है। बीते साल जून में श्रीभरत मंदिर ट्रस्ट की ऋषिकेश कोविड फाउंडेशन ने आईसीयू यूनिट संचालन के लिए एक टेक्नीशियन और तीन सहायक टेक्नीशियन की व्यवस्था की थी। कोरोना के मामले कम होने के साथ व्यवस्था भी समाप्त हो गई थी। इसके बाद अस्पताल प्रशासन लगातार शासन से प्रशिक्षित स्टाफ की मांग करता रहा। लेकिन अस्पताल को प्रशिक्षित स्टाफ नहीं मिल पाया।
अब तक नहीं लगा प्लांट
बीते साल जुलाई में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने एसपीएस राज्य के अस्पताल का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने बताया था कि अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया जाएगा। इसके तुरंत बाद अस्पताल में प्लांट के लिए सर्वे भी हुआ। लेकिन फिर ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित करने की कवायद कागजों तक सिमट कर रह गई। अस्पताल में अभी मेनिफोल्ड सिस्टम से ऑक्सीजन सप्लाई दी जा रही है।
10 बेड का आईसीयू वार्ड एक साल से बंद
एसपीएस राजकीय अस्पताल में प्रधानमंत्री केयर फंड से बना 10 बेड का आईसीयू पिछले एक साल से बंद पड़ा है। कार्यदायी संस्था ने बीते साल जून में आईसीयू का सेटअप तैयार कर दिया था। लेकिन प्रशिक्षित स्टाफ न होने के कारण अब तक आईसीयू का संचालन नहीं हो पाया है।
प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती तो अभी संभव नहीं है। सभी अस्पतालों में चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना मरीजों की चिकित्सा के लिए प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण प्राप्त मौजूदा कर्मचारियों से ही अस्पताल का काम चलाना होगा।
– डॉ. मनोज उप्रेती, सीएमओ