टीएमयू में पीजी जेआर को दिए शोध के टिप्स
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में एमडी और एमएस-2023 बैच के फर्स्ट ईयर के जूनियर डॉक्टर्स का सात दिनी ओरिएंटेशन प्रोग्राम का समापन
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में एमडी और एमएस-2023 बैच के मेडिकल पीजी ओरिएंटेशन प्रोग्राम के समापन पर पीजी जूनियर डॉक्टर्स को मेडिकल शोध के टिप्स दिए। कम्युनिटी मेडिसिन के एचओडी डॉ. एसके गुप्ता, डॉ. साधना सिंह, डॉ. आफताब अहमद और डॉ. उम्मे अफीफा ने मेडिकल रिसर्च और थीसिस राइटिंग पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने मेडिकल रिसर्च डाटा को एनालाइज करने और देश के नागरिकों के स्वास्थ्य में इसकी भूमिका को बताया। उन्होंने पीजी डॉक्टर्स को मेडिकल रिसर्च का अर्थ, इसके विभिन्न डिजाइन और उनकी आवश्यकता, साहित्य समीक्षा के जरिए रिसर्च गैप खोजना, सैंपल बनाना आदि के बारे में विस्तार से समझाया। अंत में ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी- प्रो. राजुल रस्तोगी और प्रो. अमित सराफ ने वोट ऑफ थैंक्स दिया। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एनके सिंह की उल्लेखनीय मौजूदगी रही।
ओरिएंटेशन प्रोग्राम के तहत डॉक्टर्स के स्ट्रेस को कम करने के लिए डॉ. साधना सिंह ने योगा सेशन भी कराया। सप्ताह भर तक चले इस ओरिएंटेशन प्रोग्राम में न्यू कमर्स स्टुडेंट्स को हॉस्पिटल और कॉलेज की फैसेलिटीज़, कार्यप्रणाली, पेशेंट्स, तीमारदारों और सहकर्मियों से बातचीत की तरीके, मरीजों के अधिकार, डेटा की कॉन्फिडेंसिटी को मेंटेन रखना, मेडिकल रिकार्ड को मेंटेन रखना, मेडिकल लीगल इस्यूज को मैनेज करना, सुरक्षित तरीके से रक्त को चढ़ाना, उचित दवाओं का प्रयोग करना, रेडियोलॉजी और लैब के फॉर्म को सही से भरना ताकि सही जांच और हो सके, बायोमेडिकल वेस्ट का उचित निस्तारण करना, पेशेंट के अनुमति पत्र को भरना, ड्रग के साइड इफेक्ट्स का रिकॉर्ड रखना, आयुष्मान योजना की जानकारी, मेडिकल साइंस में रिसर्च की क्रियाविधि आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
इससे पहले मेडिसिन विभाग के डॉ. जिगर हरिया ने पेशेंट के लिए सही दवा के चुनाव और उचित प्रिस्क्रिप्शन के बारे में विस्तार से बताया। बायोकेमिस्ट्री विभाग के डॉ. तारिक महमूद ने इश्यू ऑफ मेडिकल सर्टिफिकेट्स/रिपोर्ट्स पर बोलते हुए कहा, ये लीगल इश्यूज़ होते हैं। अतः इन्हें जारी करने में डॉक्टर्स को सावधानी रखनी चाहिए। फेक सर्टिफिकेट्स/रिपोर्ट्स से बचना चाहिए। पैथोलॉजी विभाग की डॉ. दीप्ति अरोरा ने लैब रिक्यूजीशन फॉर्म को भरने के तरीके बताए। उन्होंने बताया, लैब रिक्यूजीशन फॉर्म में टेस्ट जुड़ी आवश्यक बातों का स्पष्ट उल्लेख करना चाहिए, जिससे आसानी से बीमारी का पता चल सके। रेडियोडायग्नोसिस विभाग की डॉ. श्रुति चंडक ने बताया कि रेडियोलॉजी जांच के रिक्यूजीशन फार्म में जरूरी बिन्दुओं को अवश्य लिखना चाहिए, जिससे बीमारी का पता लगाने में सुविधा हो।
माइक्रोबायोलॉजी के एचओडी डॉ. उमर फारूख ने मेडिकल वेस्ट का निपटान करने के सुरक्षित तरीकों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनका सुरक्षित निपटान करना आवश्यक है, ताकि दूसरे लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके। माइक्रोबायोलॉजी के डॉ. सुधीर सिंह ने स्टेरेलाइजेशन, डिसइंफेक्शन और सेंट्रल हॉस्पिटल सप्लाई के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. अशोक सिंह ने सर्जरी के समय पेशेंट को या उसके शरीर के किसी भी पार्ट को हैंडल करते समय रखे जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया। मेडिसिन विभाग के डॉ. अजय कुमार ने बताया, पेशेंट के सिरहाने पर रहकर कैसा व्यवहार करें? पेशेंट का निरीक्षण या परीक्षण करते समय डॉक्टर्स को कैसा व्यवहार करना चाहिए? एन्सथीसिया विभाग की डॉ. पायल जैन ने बताया, पेशेंट पर कोई भी प्रोसीजर करने से पहले उसे कौन-कौन सी बातें बतानी चाहिए और किस प्रकार से बतानी चाहिए। साथ ही अनुमति पत्र तैयार भी बताया। फर्माक्लोजी के एचओडी प्रो. प्रीथपाल सिंह मटरेजा ने दवाओं के साइड इफेक्ट्स की रिपोर्टिंग और ऑडिटिंग के बारे में विस्तार से चर्चा की। आयुष्मान मेडिकल को-ऑर्डिनेटर डॉ. नासिर खान ने आयुष्मान योजना के बारे में जानकारी देते हुए मरीज को इस स्कीम का लाभ देने के बारे में विस्तार से चर्चा की।